बारिश की बूंदे भले ही छोटी हो

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लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है..! अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज औरंगाबाद अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज कुलचाराम हैदराबाद  !मे विराजमान  है प्रवचन मे आचार्य प्रसन्नसागर महाराज  ने कहाॅ की
बारिश की बूंदे भले ही छोटी हो,
लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है..!
उसी प्रकार हमारे छोटे छोटे नियम, त्याग, संकल्प निश्चित ज़िन्दगी में बड़ा परिवर्तन ला देते हैं, बशर्त है कि भावनात्मक होना चाहिए। नकल-ची बन्दर नहीं बनना चाहिए। नकल-ची बन्दर में क्रिया तो होती है पर भावनात्मक नहीं, प्रदर्शनात्मक। इसलिए —
 धर्म ढोंग नहीं – ढंग से करने की बात करता है। धर्म परिभाषा नहीं – प्रयोग है।
 धर्म संगठन नहीं – साधना है।
जहाँ सम्प्रदाय, पंथ, हटाग्रह, दुराग्रह या अवसरवादिता है, वहाँ धर्म का प्रकाश हो ही नहीं सकता। ये सब तोड़ने का काम करते हैं। धर्म जीवन की बुनियाद है। तभी तो *धर्म के अभाव में आदमी आदमखोर बन जाता है, और धर्म के सदभाव से, प्रभाव से आदमखोर भी आदिनाथ और महावीर बन जाता है…!!!। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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