कामां (मनोज जैन नायक) पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति कामां के तत्वाधान में शांतिनाथ दिगंबर जैन दीवान मंदिर के प्रांगण में 24 मंडलीय भक्तामर विधान व दीप महाअर्चना कार्यक्रम युगल मुनिश्री शुभानंद, ध्रुवानन्द व आर्यिका आर्षमती माताजी ससंघ सानिध्य में भक्तिभाव के साथ आनंदपूर्वक सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में जैन श्रावको को संबोधित करते हुए मुनिश्री शुभानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य बनावट,दिखावट और सजावट में ही व्यस्त रहता है और उसके जीवन मे गिरावट प्रारम्भ हो जाती है । अतः दिखावटी मत बनो, करके दिखाओ। इस अवसर पर भक्तामर की महिमा का गुणगान करते हुए आर्यिका आर्ष मति माताजी ने कहा कि भक्तामर में 48 काव्य और प्रत्येक काव्य में 4 लाइन व प्रति लाइन 14 अक्षर मात्र अक्षर ही नही बीजाक्षर है जो अतुल शक्ति का संचार करते हैं। प्रत्येक दुख के निवारण व शांति प्राप्ति हेतु भक्तामर पाठ का जाप करना चाहिए।
पंचकल्याणक समिति के प्रचार प्रभारी रवि जैन व युवा परिषद के अध्यक्ष मयंक जैन ने बताया कि 24 मंडलीय भक्तामर विधान में सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य वैभव जैन पूजा जैन बड़जात्या को प्राप्त हुआ तो वही ग्यारह सौ दीपो से पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की सफलता के लिये महाअर्चना की गई।
आर्यिका मुनि संघो का हुआ विहार पंचकल्याणक समिति के महामन्त्री संजय जैन बड़जात्या के अनुसार युगल मुनि शुभा नंद व धुर्वा नंद महाराज का डीग एवं आर्यिका संघ का विहार तपोस्थली बोलखेड़ा के लिए हुआ। कार्यक्रम में युवा वर्ग ने संगीतकार दौलत जैन भरतपुर के संगीत पर जमकर भक्ति की गई। 24 परिवारों ने दीप प्रज्ज्वलित किये।
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