बदले की भावना के साथ जीवन मत जीना- मुनि श्री विनय सागर जी

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भिंड नगर के श्री 1008 महावीर कीर्तिस्तंभ मंदिर में चल रहे 35 दिवसीय 35 गुरु परिवार के 35 मंडलीय 35 माढने पर चल रहे णमोकर जिनस्तुती विधान के 25 वे दिन मुनि श्री के सानिध्य मे श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा नित्य पूजन हो रहा है,जिसमे अधिक से अधिक संख्या में लोग शामिल हों रहे है विधान में मुनि विनम्र सागर जी महाराज ने रविवार को अपने प्रवचन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम भी यहां संसार में आए हैं , हमें यहां की संस्कृति का ज्ञान होना चाहिए। यहां हम कुछ समय के लिए ही आए हैं, फिर झगड़ा क्यों करते हो। आप इस संसार में तमाशा देख रहे हो कि तमाशा कर रहे हो, साधु तो तमाशा गुरुदेव ने कहा कि बदले की भावना के साथ जीवन मत जीना। आप पूछते हैं कि क्या आपको अपनी मातृभाषा मालूम है ?फिर जवाब देते हैं प्राकृत ही हमारी मातृभाषा है । पूरा णमोकार मंत्र प्राकृत में ही है। जिनेंद्र भगवान के वचन भी औषधि का रूप है। शांति धारा के शब्दों से विश्व में शांति आ सकती है। अपने धन के लिए पूरा जीवन खत्म कर दिया । धन सुविधा है, सुख नहीं ।आत्मा के नैसर्गिक गुण का नाम है सुख। विधि निषेध की जानकारी इकट्ठी कर लो या गुरु से समझ लो। जिन श्रावकों ने गुरु को अपना हाथ पकड़ा दिया है वो कभी तुमको गिरने नहीं देंगे, हर हाल में संभाल लेंगे। पुण्य शुद्धि वर्धक वर्षायोग के अध्यक्ष सपना जैन ने बताया कि रविवार को प्रातः गुरुदेव के समक्ष संभव जैन एवं दिल्ली से पधारे रोहित जैन द्वारा पाद प्रक्षालन किया गए बाद इस अवसर पर सुनीता जैन, सुमन जैन, तनु जैन, अभिषेक जैन, अमन जैन आदि विशेष रूप से मौजूद थे।

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