आयुष्मान भारत योजना का स्वास्थ्य सेवा की सुलभता पर प्रभाव

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यमुनानगर, 14 मई (डा. आर. के. जैन):
2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा की सुलभता में सुधार करने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक पहल है। दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में, इसका मुख्य उद्देश्य 10 करोड़ से अधिक आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपय तक का नि:शुल्क चिकित्सा कवरेज प्रदान करना है। जानकारी देते हुये डी. एम. कार्डियोलॉजिस्ट डा. आकाश जैन ने बताया कि इस योजना ने लाभार्थियों को वित्तीय तनाव के बिना सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों में उपचार प्राप्त करने में सक्षम बनाकर स्वास्थ्य सेवा की सुलभता में उल्लेखनीय सुधार किया है। कई निजी संस्थानों सहित हज़ारों से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों के साथ, अब रोगियों के पास स्वास्थ्य सुविधाओं के व्यापक विकल्प हैं। इससे विशेष रूप से ग्रामीण आबादी को लाभ हुआ है, जिनके पास पहले उन्नत चिकित्सा उपचारों तक पहुँच नहीं थी। इसके अलावा स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एच. डब्लू. सी.) स्थापित करने पर आयुष्मान भारत के फोकस ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों के करीब ला दिया है, जो मातृ और बाल स्वास्थ्य सेवा, गैर-संचारी रोग जांच और बुनियादी उपचार जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि हालांकि, चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं जैसे कि सीमित जागरूकता, धोखाधड़ी वाले दावे और पैनल में शामिल अस्पतालों का असमान वितरण इस योजना की पहुंच को प्रभावित करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कुशल चिकित्सा पेशेवरों की कमी है। इसके प्रभाव को और बढ़ाने के लिए, सरकार को जागरूकता बढ़ाने और वंचित क्षेत्रों में कवरेज का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि वास्तविक सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा पहुँच सुनिश्चित हो सके।
फोटो नं. 1 एच.
जानकारी देते हुये डा. आकाश जैन………………(डा. आकाश जैन)

चैरिटेबल ग्रुप के द्वारा गऊ वंशज सेवा कार्यक्रम का हुआ आयोजन
स्वयं सेवियों ने की गऊ माता की सेवा, गऊशाला पहुँचाया 2 हजार किलो चारा
यमुनानगर, 14 मई (डा. आर. के. जैन):
चैरिटेबल ग्रुप के सौजन्य से गऊ वंशज सेवा कार्यक्रम का आयोजन अम्बाला रोड स्थित गऊशाला के प्रांगण में किया गया, जिसमें लवीन मदान परिवार व सदस्यों के द्वारा सामूहिक रूप से गऊशाला में चारा व अन्य खाद्य सामग्री पहुंचाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंकज वर्मा ने की तथा संचालन जितेन्द्र सोई ने किया। रवि कुमार ने बताया कि मूक प्राणियों की सेवा को सबसे बड़ी सेवा कहा जाता है, और यह भी माना जाता है कि इन बेजुबानों की सेवा करने से सभी प्रकार के कष्ठ व पीड़ा दूर होती है, क्योंकि मनुष्य अपने दुख-दर्द व जरूरतें कह कर व बता कर पूरी करा लेता है किन्तु बेजुबान पशु अपनी तकलीफ किसी को नहीं बता पाते है। ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अधिक से अधिक सेवा कार्य कर इन प्राणियों की पीड़ा को कम करने का प्रयास करे।  प्रियंकल अग्रवाल ने कहा कि चैरिटेबल ग्रुप के द्वारा गऊ वंशजों की सेवा कार्य निरंतर जारी है, इसी श्रंखला में मूक प्राणी सेवा कार्यक्रम का आयोजन ग्रुप सदस्यों के सहयोग से अम्बाला रोड स्थित गऊशाला प्रांगण में किया गया, जिसमें लवीन मदान परिवार व सदस्यों के द्वारा सामूहिक रूप सेे गऊ वंशजों की सेवा की और पुण्य कमाया। कार्यक्रम में दानी परिवार द्वारा पशुओं के लिए 2 हजार किलो चारे सेवा की गई। अंकुर जैन ने बताया कि पशु-पक्षी प्रकृति का साकार रूप है, इसका अस्तित्व निश्चित रूप से मानव मात्र के लिये शाश्वत, प्रेरत व मंगलमय है, क्यों धर्म के अनुसार मानव मात्र के अतिरिक्त अन्य जीवों पर दया करना भी श्रेष्ठ व आवश्यक कार्य है। गायों के लिये चारा लाने के लिये वाहन की सेवा भी निशुल्क प्रदान की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी को प्रयास करना चाहिए की अपने व अपने परिवार सदस्यों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह व अन्य अवसरों पर गायों की सेवा के लिये सहयोग देकर पुण्य के भागीदार बने। इस अवसर पर मुकेश नागपाल, राजीव सूद, अमन भंडारी, के. के. जैन,ऋषभ जैन, भव्य जैन, पुनीत जैन, अंकुर जैन, पारस, अमन सोई, शिवम, अश्विनी, पारस मसान, सुनील गुप्ता आदि ग्रुप सदस्यों ने सहयोग दिया।
फोटो नं. 2 व 3 एच.
गायों को चारा खिलाते व सेवा कार्य करते स्वयंसेवक………..(डा. आर. के. जैन)

देश व संस्कृति की सुरक्षा के लिए शिक्षा प्रणाली में बदलाव जरूरी-हेमंत गोस्वामी
यमुनानगर, 14 मई (डा. आर. के. जैन):
डी. ए. वी. कॉलेज फॉर गल्र्स ने इंडियन नॉलेज सिस्टम के अंतर्गत आयोजित भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नवोदित चुनौतियों का संस्कृत शास्त्रीय विवेचन विषय पर आयोजित वेबिनार कम ओपन हाउस डायलॉग में भाग लिया। सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व सी. एम. ओ. मैनेजमेंट कंसलटेंट एंड ट्रेनर हेमंत गोस्वामी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने पहलगाम में आतंकी हमले एवं भारत पाकिस्तान युद्ध पर दुख व्यक्त करते हुए भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रीय सुरक्षा पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार युद्ध करना, शस्त्र उठाना हमारी संस्कृति नहीं है, परंतु इस प्रकार के हमलों के समय स्थानीय जनता की जो प्रतिक्रिया है, वह सही नहीं थी। भारतीय सुरक्षा और संस्कृति की सुरक्षा के लिए शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करना आवश्यक है। संस्कृत हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। परंतु हम भारतीय ही उसे पीछे छोड़ते जा रहे हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को भी अपनाना चाहिए। विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा का ज्ञान, अपने ग्रंथों शास्त्रों का पारंपरिक ज्ञान अवश्य देना चहिए। इस प्रकार हमला, युद्ध जैसी घटनाओं पर विचार करना उनका समाधान करना आवश्यक है और उसका जरिया है शिक्षा प्रणाली में संस्कृति के अनुसार पाठ्यक्रम जोडऩा। इस अवसर पर इंदु शर्मा, सुभाष जाडू, विवेक गर्ग, आशुतोष, रविंद्र कुमार इत्यादि विद्वानों ने भारतीय संस्कृति, शिक्षा सुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए। कॉलेज के इंडियन नॉलेज सिस्टम कनवीनर डा. किरण शर्मा ने सभी विद्वानों द्वारा इस ज्वलंत एवं गंभीर मुद्दे पर जानकारी देने एवं हम सभी शिक्षक वर्ग का इन सबके प्रति योगदान बताते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोविज्ञान विभाग अध्यक्ष शालिनी छाबड़ा ने की। मौके पर डा. नीता द्विवेदी, विवेक नरूला, कनिका, पारूल, डा. गुरशरण कौर, डा. दीपिका घई, लिपाक्षी एवं कॉलेज विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फोटो नं. 4 एच.
कार्यक्रम में भाग लेती शिक्षिकाएं व छात्राएं……………..(डा. आर. के. जैन)

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