अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत के संरक्षण दिवस —- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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वर्ल्ड ओजोन डे मनाने के पीछे का उद्देश्य केवल लोगों को ओजोन परत के बारे में जानकारी देना और डैमेज हो रही ओजोन परत के प्रति जागरूक करना है. अगर लोग प्रदूषण को कम कर दें तो ओजोन परत को डैमेज से बचाया जा सकता है. 19 दिसंबर 1964 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने ओजोन परत के संरक्षण के लिए 16 सितंबर को वर्ल्ड ओजोन डे के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी. 1964 के बाद से वर्ल्ड ओजोन डे हर वर्ष मनाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र ने 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह तारीख 1985 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को अपनाने की याद दिलाती है जब सरकारों, वैज्ञानिकों और उद्योग ने सभी ओजोन-क्षयकारी पदार्थों में से 99% कटौती करने के लिए मिलकर काम किया था।
ओजोन परत ओजोन अणुओं की एक परत है, जो वायुमंडल में पाई जाती है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाती है। इसके संरक्षण के लिए 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस या ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरणविद का मानना है कि ओजोन लेयर पृथ्वी का सुरक्षा कवच है और इसे बचाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 1995 के बाद से हर साल 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस का आयोजन किया जाता है। ओजोन परत के क्षरण के बारे में संभव समाधान का खोज करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
क्यों हो रहा ओजोन परत का क्षय
क्लोरोफ्लोरोकार्बन ओजोन परत में होने वाले विघटन के लिए उत्तरदायी है। इसके अलावा हैलोजन, मिथाइल क्लोरोफार्म, कार्बन टेट्राक्लोरिड आदि रसायन पदार्थ भी ओजोन को नष्ट करने में सक्षम है। इन रासायनिक पदार्थों को ही ओजोन क्षरण पदार्थ कहते हैं। यह एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर व प्लास्टिक आदि के इस्तेमाल में प्रमुखता से उत्सर्जित होते हैं।
ई-कचरा भी बना खतरा
ई-कचरे में करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रासायनिक तत्व शामिल होते हैं। टीवी व पुराने कंप्यूटर में लगी सीआरटी को रिसाइकल करना मुश्किल होता है। इस में लेड, मरक्यूरी केडमियम जैसे घातक तत्व होते हैं। कूड़े में पाया जाने वाले ई-कचरा हवा, मिट्टी, भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहा है।
ये हैं दुष्प्रभाव
ओजोन परत के बढ़ते क्षय के कारण अनेकों दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे कि सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरती पर वायुमंडल में प्रवेश कर सकती हैं। जो बेहद ही गर्म होती है और पेड़-पौधों व जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होती है। शरीर में इन कारणों की वजह से त्वचा का कैंसर, अल्सर, मोतियाबिंद जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। यह किरणें मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती हैं।
ऐसे करें बचाव
ऐसे सौंदर्य प्रसाधन, एयरोसोल और प्लास्टिक के कंटेनर, स्प्रे जिसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन विद्यमान हैं, उन उत्पादों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वाहन से अत्यधिक धुआं उत्सर्जन को रोकने के लिए वाहनों का नियमित रखरखाव करें। प्लास्टिक और रबड़ से बने टायर को जलाने से बचना चाहिए अधिक से अधिक पौधे लगाएं ताकि ऑक्सीजन अधिक से अधिक मात्रा में वायुमंडल में बनी रहे और इससे ओजोन अणुओं का निर्माण हो। रुई के गद्दे और तकियों का प्रयोग करें व फोम के उपयोग से बचे। मिट्टी के कुल्हड़ों, पत्तों की थालियों का प्रयोग करें।
ओजोन लेयर धरती और उस पर रहने वाले सभी जीवों की रक्षा हानिकारक किरणों से करती है. ये धरती के वायुमंडल में मौजूद एक परत है जो बढ़ते प्रदूषण और हर रोज वृक्षों से काटने से डैमेज हो रही है, जो पूरी दुनिया के लिए एक भयानक खतरे की घंटी है. सूरज की हानिकारक किरणों से बहुत सी बीमारियां और परेशानियां झेलनी पड़ सकती है, जिसे केवल ओजोन लेयर ही रोक सकती है.यदि इस स्थिति लगातार बनी रहती हैं तो हम शरीरिक ,मानसिक के साथ जलवायु से होने वाली दुष्परिणामों से बच पाना बहुत दुष्कर और गंभीर होगा।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753

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