अष्टापद /कोडरमा -धन्य हैं जैन धर्म, धन्य हैं जैन साधु

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आज के इस पंचम काल में (-7°C ), ऐसी जमा देने वाली बर्फ जहां 4- 4 स्वेटर जाकेट पहनने पर भी ठंड नही रुकती हैं वहा पर गुरुदेव अपनी साधना में अपने चेहरे पर मुस्कान लिए अपने संघ के साथ साधना में रत है धन्य हो निर्ग्रन्थ महा मुनिराज..
_तपस्या के शिरोमणि साधना महोदधि अंतर्मना गुरुदेव आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज का आज यात्रा का लक्ष्य पूरा हुआ।कुलचारम से अष्टापद पहुंचे अंतर्मना।पहली बार हिमालय की बर्फानी चट्टानों पर -7 तापक्रम में दिगम्बर मुद्रा में रहना आश्चर्य का ही विषय है जो भेद विज्ञान को शब्दों में नहीं जीवन में जीवंत करके दिखाता है। दि 7 नवम्बर 2024 को शुरू हुई यात्रा आज 2 मई 2025 को लगभग 2500 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अष्टापद पहुंची जिसे प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के निर्वाण स्थली के रूप में स्वीकारा जाता है।अष्टापद आदीश्वर स्वामी…..
आठ पर्वत शिखरों के बीच बसी बद्रीनाथ नगरी में सर्वप्रथम आचार्य श्री विद्यानंद जी ने चरण रखे थे।उसके बाद तो सभी की ये भावना होने लगी कि एक बार तो बद्रीनाथ जाना ही चाहिए।एक हाल में अपनी एक मूर्ति24 भगवान के चरण बने हैं।निकट ही अपनी धर्मशाला है।हिंदू मंदिर बाहर से फूलों से सजे होने के कारण बहुत ही अच्छा दिखता है पर भीतर उतनी भव्यता दृष्टिगोचर नहीं होती
बहती नदी से पुल पार कर उस मंदिर पहुंचते हैं।नदी के पास ही एक कुंड से खोलता पानी सदैव निकलता रहता है लोग इसमें नहाकर मंदिर में प्रवेश करते हैं।जैन मंदिर के बाएं तरफ की हिमालय चोटी पर सदैव बहुत बर्फ रहती है,उस ओर लगभग दो तीन किमी की कठिन चढ़ाई करके एक विशाल चरण बने हैं।अकलंक एक धागा डालकर मूर्ति को अपूज्य मानते हैं अतः वहां की मूर्तियों से अपने धर्म का कुछ लेना देना नहीं पर क्षेत्र तीर्थ की दृष्टि से निर्वाण स्थली तो है ही।मंगलाष्टक में कैलाश पर्वत को निर्वाण स्थल माना है जो चीन में है,दोनों स्थलों में बहुत अंतर है,वहां सब जा भी नहीं सकते अतः इसे ही निर्वाणस्थली के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।प्राकृतिक दृश्यावली बहुत अच्छी रमणीक मनमोहक है,शाम को सूर्यास्त के समय पर्वत शिखरों की स्वर्णिम आभा की सुंदरता का शब्दों में कथन नहीं किया जा सकता देखने व अनुभव करने का ही आनंद है।संघपति श्री दिलीप जी व श्रवण जी ने इतिहास रच दिया है। अंतर्मना के निमित्त से सैकड़ों गुरुभक्तों को दर्शन मिल गए, ये गुरु जी व संघपति जी के बहुत उपकार है,उनके पुण्य की अनुमोदना।संघस्थ साधुवृंद इतनी शीत परिषह जीत कर कर्म निर्जरा कर रहे उनके चरणों में नमोस्तु,वन्दामि,में कोडरमा से राज कुमार जैन अजमेरा,हैदराबाद से मनोज जैन,कोलकोत्ता से विवेक जैन गंगवाल,कोडरमा से मनीष-सिमा जैन सेठी,अहमदाबाद से बंटी जैन ने भी निर्वाण स्थली पर अनुमोदना ओर नमोस्तु प्रेषित की।संयोग भी ऐसा की आज मोक्ष कल्याणक दिवस भी अभिनंदन जी का। कोडरमा मीडिया प्रभारी राज कुमार जैन अजमेरा।

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