अष्ट धातु से बनी 350 किलोग्राम वजनी गणेश प्रसाद वर्णी जी की मूर्ति जन्म भूमि हँसेरा में हुई स्थापित

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वर्णी ज्ञान प्रभावना रथ का वर्णी जी की जन्मभूमि हँसेरा  में  ग्रामवासियों ने किया भव्य स्वागत
गाजे-बाजे के साथ नगर में निकाली गई भव्य शोभायात्रा
कन्याओं ने मंगल कलश सिर पर रखकर द्वार द्वार किया स्वागत
अपने ग्राम की महान विभूति के दर्शन को उमड़े ग्रामवासी
गुणानुवाद सभा एवं सम्मान समारोह का किया गया आयोजन
वर्णी जी की 150वी जन्म जयंती के अंतर्गत हुआ आयोजन
वर्णी प्रभावना ज्ञान रथ का हुआ समापन
वर्णी जी का समाज और संस्कृति के लिए अभूतपूर्व अवदान
ललितपुर। बुंदेलखंड सहित देशभर में  शिक्षा की अनोखी अलख जगाने वाले जनपद के ग्राम हँसेरा (मड़ावरा) में जन्मे गणेशप्रसाद जी वर्णी जी  की 150 वी जन्म जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में वर्णी जी की मूर्ति  रथ पर विराजमान होकर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के विभिन्न नगरों, कस्बों में होते हुए वर्णी जी की जन्मभूमि ग्राम हँसेरा आगमन हुआ जिसका भव्य स्वागत करने ग्रामवासी उमड़ पड़े।
गणेश वर्णी प्रभावना रथ ग्राम के मुख्य मार्गों से गाजे-बाजे के साथ प्रभावना करते हुए नव निर्मित वर्णी स्मारक पहुँचा। रास्ते में अनेक स्थानों पर श्रद्धालुओं ने आरती उतारी व स्वागत किया, खासतौर पर गांव की महिलाओं ने जहाँ अपने दरवाजे पर आरती उतारी, नमन किया वहीं बालिकाओं ने अपने मस्तिष्क पर मंगल कलश रखकर अपने ग्राम की महान विभूति को नमन किया। बड़ी संख्या में वर्णी विकास संस्थान समिति एवं ग्रामवासी रथ के साथ चलते हुए वर्णी जी के जयकारे लगाते हुए नृत्य करते हुए चल रहे थे।
नव निर्मित वर्णी स्मारक पहुँचने पर गुणानुवाद सभा एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।  स्वागत भाषण वर्णी विकास संस्थान समिति के अध्यक्ष डॉ हरिश्चंद्र जैन सागर ने किया। संचालन वर्णी विकास संस्थान समिति के मुख्य संयोजक सोनू चंद्रेश शास्त्री जैसीनगर ने किया तथा आभार प्रदर्शन रथ के मुख्य संयोजक मनीष विद्यार्थी शाहगढ़ व संजय शास्त्री ने किया।
वर्णी जी की मूर्ति को नव निर्मित  स्मारक में विधि विधान के साथ स्थापित किया गया। विधि विधान पंडित देवेन्द्र जैन सौरई ने सम्पन्न कराया। सभी को मिष्टान्न वितरण किया गया।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान  सत्यपाल सिंह, श्रीमती रानीसिंह, सोनसिंह , सुमेर सिंह,  अशोक पटेरिया,  देवेंद्र कुमार पटेरिया,  गब्बर सिंह आदि का वर्णी विकास संस्थान समिति के पदाधिकारियों ने सम्मानित किया।
इस मौके पर  डॉ हरिश्चंद्र जैन सागर अध्यक्ष वर्णी विकास संस्थान, मुख्य संयोजक सोनू चंद्रेश शास्त्री जैसीनगर , डॉ. शिखरचंद सिलोनिया, डॉ राकेश जैन, डॉ. सुनील संचय ललितपुर, संजय शास्त्री ढाना, डी के सराफ मड़ावरा,  जीवंधर  शास्त्री, विनोद सौरई, विजय शास्त्री सागर, हरिशंकर नायक,   त्रिलोक जैन मडावरा,अरविंद शास्त्री, डॉ पी सी जैन सागर,  कडोरी लाल बण्डा,दीपचंद शास्त्री भोपाल  ,अभिनंदन चौधरी, प्रकाश मऊना,
विमल शास्त्री सागर,प्रकाश शास्त्री सगौनी, कमलेश  जेरा,अभिषेक सौरया, पंडित देवेंद्र जैन सौरई, राजुकमार शास्त्री भगवा,अंकित शास्त्री सागर, सचिन ‘चिन्मय’ टीकमगढ़ आदि वर्णी विकास संस्थान समिति एवं बड़ी संख्या में ग्रामवासी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
आईएएस एवं न्यायमूर्ति ने किया है मूर्ति का पुण्यार्जन :
 रथ में विराजमान अष्ट धातु की गणेश प्रसाद जी वर्णी की मूर्ति 350 किलो की वजनी और 4 फुट की है जो उनकी जन्म स्थली हँसेरा (मड़ावरा) में स्थापित की गई है इसका पुण्यार्जन सुरेश जैन आईएएस, न्यायमूर्ति विमला जैन (सेवानिवृत्त मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जज), भोपाल परिवार ने किया है। रथ के संचालन में श्रेष्ठी कपिल मलैया परिवार सागर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
वर्णी जी हुए जीवंत :
इस मौके पर  वक्ताओं ने कहा की हँसेरा (मड़ावरा) के लाल गणेश प्रसाद जी वर्णी ने ऐसे समय में शिक्षा की अनोखी अलख जगाई जब शिक्षा के लिए कोई उपयुक्त स्थान नहीं थे। वर्णी जी की प्रेरणा से बुंदेलखंड सहित पूरे देश में अनेकों पाठशालाएं, विद्यालय, महाविद्यालय खुले, हँसेरा में स्मारक बनाकर उनकी मूर्ति स्थापित होने से आज वर्णी जी पुनः जीवंत हो गए हैं। उनका न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि आजादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनकी चादर जबलपुर में नीलम हुई थी और उससे प्राप्त राशि आजाद हिंद फौज को दे दी गयी थी। 1942 के असहयोग आंदोलन में तो वर्णी जी की प्रेरणा स्थापित स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसी आंदोलन का गढ़ बन गया था। बिनोबा भावे तो वर्णी जी को अपना बड़ा भाई मानते थे। पूज्य वर्णी जी जैन प्राच्य विद्याओं, विद्यालयों के महान उद्धार कर्ता थे। इन्होंने शिक्षा जगत में महान क्रांति की। इन्होंने बुंदेलखंड की अवनत दशा को बड़ी गहराई से देखा -परखा और समझा था। ललितपुर जनपद में जहाँ साढूमल में वर्णी जी ने सौ वर्ष पूर्व विद्यालय खुलवाया वहीं ललितपुर में वर्णी इंटर कॉलेज, वर्णी चौराहा, वर्णी कान्वेंट आदि वर्णी जी के नाम पर हैं।
इतिहास बन गया : वर्णी संस्थान विकास समिति के मुख्य संयोजक सोनू चंद्रेश शास्त्री ने कहा कि हम सभी का स्वप्न साकार हो गया आखिरकार पूज्य वर्णी जी हँसेरा स्मारक में आ  गए।  हँसेरा ग्राम में   सभी का हृदय गदगद हो गया, हम सभी श्रद्धा से द्रवित थे जब हँसेरा ग्राम की  जैनेतर महिलाएं जगह- जगह मंगल कलश लिये वर्णी जी का स्वागत कर रही थीं।
अध्यक्ष डॉ हरिश्चंद्र जैन एवं कार्याध्यक्ष संजय शास्त्री ने कहा कि  परम पूज्य वर्णी जी के कार्यों के साथ-साथ उनके जन्म स्थान हंसेरा में स्मारक बनाकर मूर्ति विराजमान कर उनकी स्मृतियों को जीवन्त कर दिया है। सभीको बहुत -बहुत बधाईयां एवं साधुवाद।

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