अशोक विहार में हुआ ऐतिहासिक चातुर्मास प्रवेश

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अरिहंत प्रभु ही वास्तविक गुरु हैं : आचार्य अतिवीर मुनि
प्रशममूर्ति आचार्य श्री १०८ शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परम्परा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री १०८ अतिवीर जी मुनिराज का गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजधानी दिल्ली की धर्मनगरी अशोक विहार फेज़-1 स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर में दिनांक 21 जुलाई 2024 को मंगल चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश हुआ। इस अवसर पर जैन समाज द्वारा आचार्य श्री का ऐतिहासिक स्वागत किया गया। पिछले कई वर्षों के सतत प्रयासों के बाद आचार्य श्री के अशोक विहार क्षेत्र में चातुर्मास स्थापना होने से समस्त क्षेत्र में अत्यंत हर्ष व उमंग का माहौल बना हुआ है।
आचार्य श्री का विशाल शोभायात्रा के साथ श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, अशोक विहार फेज़-2 से मंगल विहार प्रारंभ हुआ तो गुरुभक्तों ने जयकारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया। शोभायात्रा में बैंड-बाजे, नफीरी-ताशा, नासिक ढ़ोल , भजन मंडली, जैन ध्वज, महिला, पुरुष आदि अपार जनसमूह साथ-साथ चल रहे थे। शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण का केंद्र आचार्य श्री के जीवन पर आधारित “नीरज से अतिवीर” की तर्ज पर बनी पांच झांकियां रही।
मार्ग में जगह जगह आकर्षक रंगोली बनाकर आचार्य श्री का भावभीना स्वागत किया गया व समाजजन ने अपने-अपने घरों के बाहर पाद प्रक्षालन व मंगल आरती कर पूज्य आचार्य श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। उत्साह व हर्ष से भरपूर भक्तों के साथ महिलाओं ने डांडिया नृत्य करते हुए पूज्य आचार्य श्री का चातुर्मास स्थल पर ऐतिहासिक स्वागत किया गया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि चातुर्मास एक ऐसा प्रसंग है जब समाज को संत का सान्निध्य इतने लंबे समय तक प्राप्त होता है। समस्त समाज को इस अमूल्य समय का सदुपयोग करना चाहिए। आचार्य श्री ने आगे कहा कि अरिहंत प्रभु ही हमारे वास्तविक गुरु हैं, साधु तो मात्र परंपरा से गुरु हैं। हम सभी को कल्याण का मार्ग बताने वाले अरिहंत प्रभु ही हैं, उन्होंने ही इस मार्ग का साक्षात्कार किया है। साधु भी उनके बताए मार्ग का ही अनुसरण कर रहे हैं परंतु अभी प्राप्त नहीं किया है।
दिल्ली व निकटवर्ती स्थानों से पधारे समाजश्रेष्ठी तथा गुरुभक्तों का समिति द्वारा हार्दिक अभिनन्दन किया गया। समाज के संरक्षक श्री स्वदेश भूषण जैन (पंजाब केसरी) ने अपने उद्बोधन में इस चातुर्मास को अशोक विहार क्षेत्र के साथ-साथ आसपास के उपनगरों के लिए भी पुण्यार्जन का अभूतपूर्व अवसर बताया और सभी से अनुरोध किया कि वर्ष 2007 में हुए भव्य चातुर्मास की तरह ही इस वर्ष भी यह चातुर्मास ऐतिहासिक उपलब्धियों के साथ सानंद संपन्न हो। उल्लेखनीय है कि चातुर्मास कलश स्थापना समारोह रविवार 4 अगस्त 2024 को आयोजित होगा।
– समीर जैन (दिल्ली)

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