शांतिनाथ विधान से जीवन में सुख समृद्धि आती है – संजय शास्त्री
मुरैना (मनोज जैन नायक) समाधिस्थ जैन साध्वी के प्रथम समाधि संयम दिवस पर श्री 1008 शांतिनाथ विधान का आयोजन किया गया ।
प्रतिष्ठाचार्य संजय शास्त्री सिहोनिया ने जानकारी देते हुए बताया कि परम पूज्य अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री 108 वसुनंदीजी महाराज के परम शिष्य मुनिश्री शिवानंदजी एवं प्रशमानंदजी महाराज की शिष्या आर्यिका श्री 105 गुणनंदिनी माताजी के प्रथम समाधि संयम दिवस के उपलक्ष्य में नगर में चातुर्मासरत जैन संत मुनिश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज के आशीर्वाद से श्री 1008 शांतिनाथ महामंडल विधान का आयोजन श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती बड़ा मंदिर मुरैना में 12 अगस्त 2025 को प्रातः कालीन 7:00 बजे से किया गया । विधान के पुण्यार्जक परिवार कमलेश कुमार, राजेंद्र कुमार, आनंद कुमार, अजीत जैन, संजीव जैन, पंकज जैन, दीपक जैन, नितिन जैन, हैप्पी जैन सहित साधर्मी बंधुओं ने श्री शांतिनाथ भगवान गुणगान एवं भक्ति करते हुए अर्घ समर्पित किए ।
विधान की सभी क्रियाएं विधानाचार्य पंडित संजय शास्त्री (सिहोनिया वाले) ने मंत्रोचारण के साथ संपन्न कराई । विधान प्रारंभ से पूर्व उपस्थित सभी श्रावकों द्वारा श्री जिनेंद्र प्रभु का जलाभिषेक, शांतिधारा एवं अष्टद्रव्य से पूजन किया गया । संगीतकार जैन स्वर संगम अभिषेक जैन एंड पार्टी मुरैना ने अपनी संगीत की स्वर लहरी से सभी को मंत्रमुग्ध किया । विधान के मध्य में संजय शास्त्री द्वारा एक एक श्लोक का वाचनकर उसका अर्थ समझाया गया । सभी श्रावक श्राविकाओं ने अत्यंत ही श्रद्धा एवं भक्ति के साथ भक्ति करते हुए अर्घ समर्पित किए ।
विधान के समापन पर प्रतिष्ठाचार्य संजय शास्त्री सिहोनिया ने बताया कि श्री शांतिविधान में, भगवान शांतिनाथ की पूजा की जाती है और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है। भगवान शांतिनाथ की भक्ति करते हुए अर्घ समर्पित किए जाते हैं। यह विधान आमतौर पर मंदिरों में या निज निवास पर किया जा सकता है । शांतिनाथ विधान करने से सांसारिक जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है । अनजाने में हुए पापों से, संकटों से मुक्ति मिलती है । जैन दर्शन में शांतिनाथ विधान एक महत्वपूर्ण विधान माना जाता है, जो भगवान शांतिनाथ को समर्पित है । इसका मुख्य उद्देश्य बाधाओं, संकटों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करना है। यह विधान श्रावकों द्वारा विशेष रूप से संकट के समय या किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में किया जाया है ।
विधान के आयोजन में कन्हैयालाल जैन, दर्शनलाल जैन लोहिया, राजकुमार जैन बीएसएनएल, पदमचंद जैन बर्तन वाले, रमेशचंद जैन, रज्जू जैन सहित सैकड़ों की संख्या में साधर्मी बंधु, माता बहिनें एवं युवा साथी उपस्थित थे ।