महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी
प. पू. राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज के सुविज्ञ शिष्य उपाध्याय विकसन्त सागर जी महाराज ससंघ व भारत गौरव गणिनी आर्यिका गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी ससंघ का इंदौर की ओर विहार चल रहा है । इसी क्रम में प्रातः माताजी ससंघ का दूनी में मंगल प्रवेश हुआ । सभी साधुओं की निर्विघ्न आहारचर्या दूनी में सम्पन्न हुई ।
सांयकाल सभी साधु संघ का आवां में भव्य मंगल प्रवेश हुआ । समाज ने गाजे बाजे से संघ की भावभीनी आगवानी की ।
पूज्य माताजी ने सभी को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – धन्य है वह धरती जहां गुरुओं और संतों के चरण पड़ते हैं। यह अपने सातिशय पुण्य का ही प्रभाव है जिसके कारण हम संतों की सेवा कर पाते हैं। सच्चे देव – शास्त्र – गुरू की सेवा , वैयावृत्ति , दान आदि देने का असीम फल स्वर्ग आदि में अपना स्थान सुनिश्चित करना है। अपनी इस मानव जीवन की पर्याय आवां में हुआ उपाध्याय विकसन्त सागर जी महाराज व गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश
प. पू. राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज के सुविज्ञ शिष्य उपाध्याय विकसन्त सागर जी महाराज ससंघ व भारत गौरव गणिनी आर्यिका गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी ससंघ का इंदौर की ओर विहार चल रहा है । इसी क्रम में प्रातः माताजी ससंघ का दूनी में मंगल प्रवेश हुआ । सभी साधुओं की निर्विघ्न आहारचर्या दूनी में सम्पन्न हुई ।
सांयकाल सभी साधु संघ का आवां में भव्य मंगल प्रवेश हुआ । समाज ने गाजे बाजे से संघ की भावभीनी आगवानी की ।
पूज्य माताजी ने सभी को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – धन्य है वह धरती जहां गुरुओं और संतों के चरण पड़ते हैं। यह अपने सातिशय पुण्य का ही प्रभाव है जिसके कारण हम संतों की सेवा कर पाते हैं। सच्चे देव – शास्त्र – गुरू की सेवा , वैयावृत्ति , दान आदि देने का असीम फल स्वर्ग आदि में अपना स्थान सुनिश्चित करना है। अपनी इस मानव जीवन की पर्याय को यदि सार्थक करना है तो जीवन में धर्म को धारण करें । हम यदि ज्यादा त्याग नहीं कर सकते तो कम से कम देव , शास्त्र व गुरु की सेवा करके पुण्यार्जन करें ।को यदि सार्थक करना है तो जीवन में धर्म को धारण करें । हम यदि ज्यादा त्याग नहीं कर सकते तो कम से कम देव , शास्त्र व गुरु की सेवा करके पुण्यार्जन करें ।
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान