अंतरंग के विकारों को नष्ट करने पर ही मुक्ति संभव है -जैन संत पर्यूषण पर्व में चौथे दिन उत्तम शौच धर्म पर हुआ व्याख्यान

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पर्यूषण पर्व में उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्ज़व धर्म के बाद चौथे दिन बड़े जैन मंदिर में मुनिश्री विलोकसागरजी महाराज एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज ने उत्तम शौच धर्म के व्याख्यान में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कषाय जीव के लिए बहुत हानिकारक हैं । लोभ कषाय जीव के लिए बहुत खतरनाक है । लोभ कषाय करने से जीव को नरक तिरंच आदि गतियां में कई भवो तक चक्कर लगाने पड़ते हैं । आज तक जितने भी जीव इस संसार से पार हुए हैं उन सभी जीवो को लोभ को छोड़कर के उत्तम शौच धर्म को अपनाना पड़ा है । जैन दर्शन में उत्तम शौच धर्म एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसका अर्थ है पवित्रता या शुचिता। यह न केवल शारीरिक स्वच्छता को दर्शाता है, बल्कि आंतरिक शुचिता, यानी मन, वचन और कर्म की शुद्धता पर भी जोर देता है। मन में लोभ, मोह, क्रोध, माया, और ईर्ष्या जैसी भावनाओं को कम करना या त्यागना ही उत्तम शौच धर्म है ।
दसलक्षण विधान में विद्वत नीरज शास्त्री ने किया मंत्रोचारण
बड़े जैन मंदिर में चल रहे दस दिवसीय दसलक्षण विधान में सांगानेर से पधारे हुए विद्वत नीरज जैन शास्त्री ने मंत्रोचारण करते हुए सभी क्रियाएं सम्पन्न कराईं। रात्रिकालीन शास्त्र सभा के दौरान विद्वत नीरज जैन शास्त्री ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कषाय जीव के पतन का कारण है । कषाय ही जीव को दुर्गति में भटकाता है । कषाय के कारण ही जीव त्रियंच नरक आदि गतियों में जाता है । कषाय में सबसे भयंकर लोभ कषाय होती है ।जब व्यक्ति का लाभ बढ़ता है तो साथ में उसका लोभ भी बढ़ता है । लोभ कषाय बहुत भयंकर होती है । लोभ के कारण जीव दुर्गातियों में जाता है ।

तीर्थंकर पुष्पदंत भगवान का मोक्ष कल्याणक
दसलक्षण पर्व के दौरान आज मुनिश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज के पावन सान्निध्य में जैन धर्मावलंबियों द्वारा रविवार को भगवान पुष्पदंत स्वामी का मोक्ष कल्याणक मनाया गया । सभी श्रावकों ने भगवान पुष्पदंत स्वामी का जलाभिषेक, शांतिधारा कर अष्टदृव्य से पूजन किया । तत्पश्चात निर्वाण कांड का वाचन करते हुए मोक्ष लक्ष्मी की कामना के साथ जिनेंद्र प्रभु के श्री चरणों में निर्वाण लाड़ू अर्पित किया । इस अवसर पर प्रथम स्वर्ण कलशाभिषेक राजकुमार पुनीतकुमार जैन, प्रथम शांतिधारा राजेश कुमार पंकज जैन मेडिकल एवं द्वितीय शांतिधारा राजेशकुमार विपुलकुमार विपुल मोक्ष जैन को करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । मोक्ष कल्याणक पर सर्वप्रथम लाड़ू अर्पित करने का सौभाग्य डालचंद जैन को प्राप्त हुआ । सभी भक्तों ने अत्यंत ही श्रद्धा एवं भक्ति के साथ निर्वाण लाड़ू अर्पित किया ।
सभी जिनालयों में पर्यूषण पर्व की धूम
नगर के सभी जिनालयों में पर्यूषण पर्व की धूम मची हुई है । श्रीचंद्रप्रभु चैत्यालय मंदिर, आदिनाथ चैत्यालय गंज एवं लोहिया बाजार जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई । आज नसियांजी जैन मंदिर में प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा सुरेशचंद चंद्रप्रकाश राजकुमार जैन द्वारा एवं द्वितीय शांतिधारा नीलेशकुमार विदित जैन द्वारा की गई । सभी भक्तों ने विशेष मंत्रों का वाचन करते हुए भगवान पुष्पदंत मोक्ष कल्याणक के अवसर पर मोक्षलक्ष्मी की कामना के साथ श्री जिनेंद्र प्रभु के चरणों में निर्वाण लाड़ू अर्पित किया ।
मन की कषायों को छोड़ना होगा
चार मित्र एक स्थान पर जा रहे थे, अंधेरा हो गया था । रास्ते में नदी मिली, नदी के पास नाव भी दिखी । चारों मित्र नाव में सवार हो गए । चारों मित्रों ने अपने अपने हाथों में पतवार सम्हाली और नाव को खेने लगे । चारों मित्र ये सोचकर कि रात भर नाव को चलाते रहे कि हम सही रास्ते पर चल रहे हैं और सुबह होने तक अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे । लेकिन जैसे ही सुबह हुई, उजाला हुआ तो उन्होंने देखा कि हम तो नदी के उसी किनारे पर खड़े हैं जहां से यात्रा प्रारंभ की थी । उन सभी को भारी आश्चर्य हुआ कि रातभर नाव चलाने के बाद भी हम वहीं के वहीं खड़े हैं। तब एक मित्र ने देखा कि नाव तो अपने खूंटे पर एक रस्सी से बंधी है, रस्सी की गांठ को तो हमने खोला ही नहीं हैं। यही हाल हमारा है, हम सब खूब भगवान की भक्ति करते हैं, पूजन करते हैं लेकिन अंदर के विकारों को, अंदर की बुराइयों को, अंदर की कषायों को नहीं छोड़ते । इसी कारण हम संसार में भटकते रहते हैं और मुक्ति प्राप्त नहीं कर पाते। हमें अपने अंदर की बुराइयों को, कषायों को त्यागना होगा, तभी इस संसार से मुक्ति संभव है ।

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