अंतरंग के भावों के अनुरूप ही कर्मफल की प्राप्ती-मुनिश्री विलोकसागर

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अंतरंग के भावों के अनुरूप ही कर्मफल की प्राप्ती-मुनिश्री विलोकसागर
प्रतियोगियों का किया गया बहुमान

मुरैना (मनोज जैन नायक) प्राणी मात्र के हृदय में अहिंसा, परोपकार और जीवदया की भावना होनी चाहिए । हम किसी भी धर्म को मानने वाले हों, किसी भी ईष्ट की पूजा भक्ति आराधना करते हों, किसी भी गुरु की वाणी का श्रवण करते हों, यदि हमारे हृदय में करुणा का भाव नहीं हैं, तो आपकी पूजा भक्ति कभी भी सफल नहीं हो सकती । वर्तमान में सांसारिक प्राणी पूजा भक्ति साधना उपासना तो बहुत करता है, धर्मात्मा बनने की चाहत में अपने आप को आदर्शवादी निरूपित करता है, लेकिन मन की कुंठाओं का शमन नहीं करता । जैन दर्शन में बाहरी दिखावे को महत्व नहीं दिया जाता । जैन धर्म भावना प्रधान धर्म है, जैसी जिसकी भावना होगी उसी के फलस्वरूप उसे परिणामों की प्राप्ति होगी । लेकिन आजकल अधिकांशतः लोग पूजा पाठ, धार्मिक अनुष्ठान तो करते हैं लेकिन मन की मलिनता को दूर नहीं करते । यही कारण है कि हमें अपनी पूजा भक्ति के सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं होते है । हमें सदैव अपने ईष्ट के बताए हुए, अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिए । उक्त उद्गार नगर में चातुर्मासरत जैन संत मुनिश्री विलोकसागरजी महाराज ने बड़े जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का हुआ बहुमान
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के संयोजक डॉक्टर मनोज जैन, विमल जैन बबलू ने बताया कि परम पूज्य मुनिश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज की पावन प्रेरणा एवं आशीर्वाद से उन्हीं के सान्निध्य में तीन तीन बार तीर्थंकर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया गया । विगत दिवस तृतीय प्रतियोगिता के प्रतियोगियों का सम्मान किया गया । प्रतियोगिता को उम्र के हिसाब से तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया । इस बार ए श्रेणी में 50 से अधिक, बी एवं सी श्रेणी में 80 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी प्रतियोगियों का बहुमान किया गया । ग्रुप ए में आर्जब बवलेश जैन ने 92, श्रेणी बी में साक्षी नरेश जैन ने 93, श्रेणी सी में वयोवृद्ध राजकुमार वरैया ने सर्वाधिक 97 अंक प्राप्त किए । गुरुदेव के परम भक्त श्रावक श्रेष्ठि यतींद्रकुमार संजय रेखा जैन मुरैना के सौजन्य से सभी प्रतियोगियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया । आयोजन समिति द्वारा पुरस्कार सौजन्यकर्ता परिवार का बहुमान किया गया
श्री नसियांजी जिनालय में वार्षिक कलशाभिषेक 21 को
विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी फाटक बाहर स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन नसियाजी मंदिर में वार्षिक कलशाभिषेक का आयोजन रविवार 21 सितम्बर को किया जा रहा है । इसी दिन नसियांजी जिनालय में जैन मित्र मण्डल द्वारा आयोजित सामूहिक क्षमावाणी स्नेह मिलन समारोह एवं श्रद्धेय बुजुर्ग व्यक्तियों का सम्मान समारोह का आयोजन भी होने जा रहा है । पूज्य युगल मुनिराजों के पावन सान्निध्य में होने जा रहे आयोजन के उपरांत शाम को श्री जिनेन्द्र प्रभु के कलशाभिषेक होगें । आयोजन में लगभग 2000 व्यक्तियों के सम्मिलित होने की संभावना को देखते हुए सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है । कार्यक्रम पश्चात सकल जैन समाज के वात्सल्य भोज की व्यवस्था भी जैन मित्र मण्डल परिवार की ओर से की गई है।

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