अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार श्रवण बेलगोला की और मनुष्य जीवन मिलना सौभाग्य की बात है. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर

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अन्तर्मना आचार्य  प्रसन्न सागर जी महाराज  ससंघ का पदविहार श्रवण बेलगोला की और मनुष्य जीवन मिलना सौभाग्य की बात है. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर औरंगाबाद संवाददाता व पियुष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा. साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार श्रवण बेलगोला की और चल रहा है यह अहिंसा संस्कार पदयात्रा क्रमोन्नत राजकीय वीर प्राथमिक एवम उच्च विद्यालय ,ग्राम काकोल तहसील रानीविन्दु जिला हेवरी कर्नाटक सिद्धेश्वर मंदिर. काकी कल्याण मंड  राणी बेन्नूरु. र हैंड साइड जिला हेवरी कर्नाटक  मे  प्रसन्न सागर महाराज  ने प्रवचन  मे कहा  की मनुष्य जीवन मिलना सौभाग्य की बात है..
यूं ही खाते पीते, टाइम पास करते मर जाना, दुर्भाग्य की बात है..
और समय से मरना फिर लोगों के दिलों में जिन्दा रहना,
ये सत्कर्म, सेवा, परोपकार की बात है..!
आज कल सबका व्यवहार हाथी के दांत जैसा हो गया है, खाने के और — दिखाने के कुछ और। दो प्रकार के लोग हैं इस दुनिया में — एक सरल मन वाले, दूसरे कुटिल बुद्धि वाले। सरल मन वाला व्यक्ति उस नदी की तरह पवित्र और पावन है, जो निश्छल मन से समुद्र से मिलने के लिए सतत प्रवाहमान हो रही है। जो बह रही है वो नदी है। वह अनेक संकटो से जूझते हुए, गिरते पड़ते बहे जा रही है। *सिर्फ एक ही लक्ष्य है अनन्त में विलीन होना और उसका अपना कोई मकसद नहीं है। ऐसे ही सरल मन वाले लोग परमात्म तत्व को उपलब्ध हो जाते हैं। इसलिए निर्ग्रन्थ साधु को यानि दिगम्बर जैन साधु को बालक वत निर्विकारी की उपमा से अलंकृत किया है। दिगम्बर जैन साधु शीशू वत जीवन जीता है। कोई भी मजहब की माता बहिन आ जाये लेकिन दिगम्बर जैन साधु के मन में किंचित भी विषय, विकार, वासना का भाव नहीं आता। सभी माता बहिनों के प्रति सम दृष्टि रखता है।
एक गीत आपने सुना होगा
ओह रे – ताल मिले नदी के जल से, नदी मिले सागर से, सागर मिले कौन से जल में कोई जाने ना — ओह रे!
दूसरे हैं कुटिल बुद्धि के लोग- जो हमेशा अपने किसी ना किसी उधेड़ बुन में मशगूल रहते हैं, इसकी टोपी उसके सर पे, उसकी टोपी इसके सिर पे जिनका काम होता है। आज देश और समाज में अच्छे लोग भी खोटा सिक्का चलाने की दौड़ में दम लगाकर दौड़ रहे हैं। इस शाश्वत सत्य को स्वीकार करो कि वो हमको हर पल देख रहा है।
हम खुद और खुदा की नजरों से कभी बच नहीं सकते…!!!नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल

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