अनमोल मानव जीवन को माटी मत समझो

0
95

महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी
राजधानी जयपुर 5 मई रविवार 2024 प्रातः 8:30 पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए गुरु माता
प. पू. भारत गौरव गणिनी भूषण आर्यिका रत्न 105 गुरुमाँ विज्ञाश्री माताजी संसंघ श्री दि. जैन मंदिर मंगल विहार, जयपुर में विराजमान है।
पूज्य माताजी के प्रवचनों द्वारा हर एक कालोनियों में धर्म की महती प्रभावना हो रही है। अनमोल इस मानव जीवन को माटी जैसा मत समझे। इस विषय पर प्रवचन देते हुए माताजी ने कहां कि- चाहे नारकी हो, देव हो या तिर्यंच वह कभी मुट्ठी बांधकर जन्म नहीं लेता। सिर्फ मनुष्य ही मुट्ठी बांधकर जन्म लेता है क्यों क्योंकि यह जीव नारकी, देव या तिर्यंच पर्याय में संयम, रत्नत्रय को नहीं पा सकता, मोक्ष नहीं जा सकता। सिर्फ
मनुष्य पर्याय से ही मोक्ष जा सकते है, संयम धारण कर सकते है,भगवान बनने की कला मनुष्य पर्याय में ही संभव है। अन्य किसी भी प्रयाय में संभव नहीं है
अतः मनुष्य मुट्ठी में रत्नत्रय धारण करने की क्षमता को लेकर जन्म लेता है, जो जीवन का सार है। मंगल विहार में प्रवासरत पूज्य गुरुमाँ के श्री चरणों में श्रीमति शारदा जैन ने क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण करने की भावना व्यक्त की एवं श्रीफल समर्पित
किया। कालोनी के सभी श्रावकों ने उनके संयम भावना की भूरी-भूरी प्रशंसा एवं अनुमोदना की। गुरुमाँ की आहारचर्या कराने का सौभाग्य प्रेमचन्द जैन सपरिवार ने प्राप्त किया। शाम को स्वाध्याय, गुरु वंदना एवं आरती करने का लाभ अनेकों श्रद्धालुओं ने प्राप्त किया।
गुरु माता ने सभी भक्तों को अपना आशीष देते हुए कहा गुरु के आशीष से भक्त गिर जाता है
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here