बड़ागांव में आचार्य ज्ञेयसागर ने दीं आर्यिका दीक्षाएं
मुरैना (मनोज जैन नायक) ज्ञानतीर्थ परिवार मुरैना की बाल ब्रह्मचारिणी अनीता दीदी सागर, ललिता दीदी मुरैना एवं बड़ागांव साधुवृति आश्रम की चारू दीदी ने अतिशय क्षेत्र बड़ागांव में छाणी परम्परा के सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज से जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा ग्रहण की ।
स्वर्ण गहनों, हार, मुकुट से सुसज्जित तीनों दीक्षार्थी बहिनों ने अपने परिजनों, रिश्तेदारों एवं वहां उपस्थित जन समुदाय से जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना की एवं अपनी ओर से भी सभी को क्षमा किया । सभी दीक्षार्थियों ने एक साथ पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री ग्येयसागर को श्रीफल भेंटकर जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा हेतु निवेदन किया ।
जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा देने से पूर्व पूज्य आचार्यश्री ग्येयसागर जी महाराज ने सभी दीक्षार्थी बहिनों के परिजनों, उपस्थित जन समुदाय एवं संघ के सभी मुनिराजों, साध्वियों से दीक्षा हेतु स्वीकृति प्राप्त की ।
तीनों दीक्षार्थी बहिनों ने एक एक कर अपने शरीर से सभी आभूषणों को निकाल दिया । संघ की दीदियों ने दीक्षार्थियों को चौक पर बैठाकर उनके कैशलॉच किए गए । गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी सहित संघ की आर्यिका माताजियों ने दीक्षा में सहयोग प्रदान किया ।
पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्याभूषण सन्मतिसागर, सराकोद्धारक आचार्य ज्ञानसागर, संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद से छाणी परम्परा के सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर महाराज ने मंत्रोचारण के साथ जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा के सभी संस्कार किए । प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार निशांत टीकमगढ़, नितिन भैयाजी खुरई ने मंच संचालन करते हुए दीक्षा की सभी क्रियाओं को संपन्न कराया ।
दीक्षा उपरांत पूज्य आचार्यश्री ने सागर की ललिता दीदी को आर्यिका सुज्ञानमति माताजी, मुरैना की ललिता दीदी को आर्यिका दयामती माताजी, बड़ागांव की चक्रेश दीदी को आर्यिका दर्शनमति माताजी नाम से अलंकृत किया । अब ये तीनों बहिनें सांसारिक सुखों का त्यागकर जैन साध्वी बन गई हैं। ये अब अजीवन पद बिहार करेंगी, कर पात्र में दिन में एकबार ही अन्न जल ग्रहण करेंगी । साथ ही अब इनका अपने घर परिवार, परिजनों से कोई रिश्ता नहीं रहेगा ।
जैनेश्वरी आर्यिका माताजीयों को लाला गुलशनराय अनिल जैन हलुआ वाले परिवार, मुकेशकुमार पंकज जैन बैंगलोर, अन्नत डिजाइनर दिल्ली ने संयम का उपकरण पिच्छिका भेंट की एवं बृजेश जैन विकास जैन सरधना वाले दिल्ली, के के जैन रूपेश जैन चांदी वाले आगरा ने कमंडल भेंट किए । अन्य उपस्थित साधर्मी बंधुओं ने सभी दीक्षार्थियों को वस्त्र एवं शास्त्र भेंट किए । पूज्यश्री ने जैसे ही नामों की घोषणा की पूरा पंडाल जय जय कारों से गूंज उठा । सभी लोगों ने दीक्षार्थियों के पुण्य की अनुमोदना करते हुए सातिशय पुण्य का अर्जन किया ।
इस अवसर पर आचार्य श्री सहित, अनेकों मुनिराज, आर्यिकाएं, बहुतायत संख्या में ब्रह्मचारी भैयाजी, ब्रह्मचारिणी बहिनें मंचासीन थी । इस ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी बनने हेतु बाल ब्रह्मचारी संजय भैयाजी (मुरैना वाले), मंजुला दीदी, सरिता दीदी, रेखा दीदी, विनोद दीदी, कंचन दीदी, महेंद्र कुमार शास्त्री, हंसकुमार जैन, पंकज जैन, योगेश जैन, आनंद जैन, राकेश जैन, राजेंद्र भंडारी, धर्मेंद्र जैन, सतेंद्र जैन, अनूप जैन, अनिल जैन, विनोद जैन सहित मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत सहित सम्पूर्ण भारत वर्ष से हजारों की संख्या में गुरुभक्त उपस्थित थे ।