विद्वान ही विद्वान के श्रम को जानता है : मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महाराज
जयपुर। शताधिक वर्ष प्राचीन आर्षमार्गी विद्वानों की संस्था अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद की नवीन कार्यकारिणी का सपथ ग्रहण 26 अक्टूबर 2024 को दोपहर में परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक़ शिष्य परम पूज्य अर्हम योग प्रणेता मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महाराज के सान्निध्य में महावीर नगर जयपुर राजस्थान में किया गया। डॉ. शीतल चंद्र जैन जयपुर ने सभी को सपथ दिलायी। सर्वप्रथम सभी विद्वानों ने मुनिश्री को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद ग्रहण किया।
सपथ ग्रहण समारोह में अध्यक्ष डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत, उपाध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन टीकमगढ़, पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस, पंडित पवन दीवान सागर, पंडित जयंत कुमार जैन सीकर,
महामंत्री ब्र. जय कुमार निशान्त टीकमगढ़, कोषाध्यक्ष पंडित सुखमाल जैन सहारनपुर, संयुक्तमंत्री डॉ. आशीष आचार्य शाहगढ़, डॉ सोनल शास्त्री दिल्ली, प्रचारमंत्री डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर, कार्यकारणी सदस्य ब्र. डॉ. धर्मेंद्र भैया जयपुर, पंडित राजकुमार जैन शास्त्री सागर, डॉ. अमित जैन आकाश वाराणसी, डॉ. पंकज जैन इंदौर, पंडित दिनेश जैन भिलाई, पंडित सतीश शास्त्री दिल्ली ने सपथ ग्रहण की।
इस मौके पर मुनिश्री ने आगामी समय में श्रुताराधना शिविर एवं विद्वत् प्रशिक्षण शिविर कराने की आशीर्वाद पूर्वक स्वीकृति प्रदान की।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि पुराने विद्वानों ने जो अथक श्रम किया उसे देखकर आश्चर्य होता है, वर्तमान में भी विद्वान अच्छा कार्य कर रहे हैं। विद्वान ही विद्वान के श्रम को जान सकता है। अपना समय श्रुत की आराधना में अधिक से अधिक लगाएं। शास्त्रि-परिषद को मुनिश्री ने अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
रात्रि में डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत की अध्यक्षता में कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें विगत बैठक की पुष्टि की गई। अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
-डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
प्रचारमंत्री-शास्त्रि-परिषद