ऐसा सत्य बोलें की टूटे हृदय जुड जाऐं और उससे किसी का घात भी ना हो
वाणी पर संयम रखें और यदवा तदवा, अनर्थ वचन बोलने से बचें। जब भी बोलें सत्य, कर्ण प्रिय मधुर,
स्पष्ट और ऐसा सत्य बोलें कि टूटे हृदय भी जुड़ जाए और उससे किसी का घात भी ना हो।
यह उद्गार आज तीर्थ स्वरूप दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में पर्यूषण पर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म पर प्रवचन देते हुए युवा विद्वान पंडित अंशु भैया (सांगानेर) ने व्यक्त किये। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि आपने आगे कहा कि सत्यवादी और मधुर भाषी व्यक्ति को सब पसंद करते हैं और उसकी बात को ध्यान से सुनते हैं, जबकि कटु और असत्य वचन घर, परिवार और समाज में विवाद पैदा कर संबंध बिगाड़ सकते हैं। कटु भाषा मित्र को शत्रु बना देती है और मधुर भाषा शत्रु को भी मित्र बना देती है। अतः मितभाषी और सत्यवादी बनने का प्रयास करें यही उत्तम सत्य धर्म का सार है। इस अवसर पर ट्रस्ट अध्यक्ष भूपेंद्र जैन, डॉक्टर जैनेंद्र जैन, निलेश जैन, अतुल जैन आलोक जैन, पवन जैन एवं श्रीमती साधना जैन, मीना जैन आदि उपस्थित थे।
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