अहिंसा का अवतार के भगवान महावीर स्वामी

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जयंती पर विशेष
अहिंसा का अवतार के भगवान महावीर स्वामी
भगवान महावीर का समाजवाद आज भी प्रासंगिक
यमुनानगर, 9 अप्रैल (डा. आर. के. जैन):
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का स्यादवाद आज भी प्रासंगिक हैं। उनके दर्शन में तमाम समस्याओं का हल छिपा हुआ है। विश्व बंधुत्व और समरसता की तरफ जाया जा सकता है। यह बात भगवान महावीर के दर्शन पर आयोजित परिचर्चा में उभरकर सामने आई। भारतीय परिवेश में जन्म दिवस व निर्वाण दिवस को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते है। महात्मा गांधी ने भी अहिंसा के अवतार भगवान महावीर के दर्शन को स्वीकारते हुए देश को अंग्रेजो से मुक्ति दिलाई थी। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के दर्शन में समाजवाद के साथ-साथ अहिंसा और कर्म की प्रधानता भी दिखाई देती हैं। भगवान महावीर शुरू से ही आतमज्ञानी, विचारवान और विवेकी होने के साथ-साथ निडर भी थे। उन्होंने राजपाट को पल में ही छोडक़र वन को गमन किया। भगवान महावीर ने कोई नया धर्म स्थापित नहीं किया, बल्कि खोई हुई आस्था को जगाया। इसी के साथ भगवान महावीर और गीता के कर्मयोग के बीच में संबंधों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान कृष्ण के जीवन काल के काफी समय के बाद भगवान महावीर का अवतार हुआ। भगवान महावीर जैन तीर्थंकर नेमिनाथ के समकालीन बताए जाते हैं। भगवान महावीर के दर्शन पर गीता के कर्मयोग का काफी प्रभाव पड़ा। यही कारण रहा कि जैन तीर्थंकर ने मनुष्य को जन्म से नहीं, कर्म से महान बताया। भगवान महावीर ने जिस अहिंसा का पाठ मानवता को पढ़ाया वहीं भगवान कृष्ण ने भी गीता में उपदेश दिया। उन्होंने बताया कि हिंसा के बाद अहिंसा की उत्पत्ति होती है। यही कारण रहा कि भगवान महावीर के दर्शन पर चंद्रगुप्त मौर्य तो चले ही साथ-साथ अशोक भी काफी हद तक चले। भगवान महावीर आज से 2621 वर्ष पहले हुए थे। उस समय तथा आज के परिवेश में समानता है। उस समय ऊंच-नीच का भेदभाव था, जात-पात के आधार पर श्रेष्ठता को देखा जा रहा था, लेकिन उस समय भगवान महावीर ने व्यक्ति को जन्म से महान नहीं बताया। इसी के साथ भगवान महावीर के दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर वर्ष मानवता के लिए भगवान महावीर के दर्शन की शिक्षा दी जाती है। भगवान महावीर ने आत्म दर्शन को विशेष दिया। भगवान महावीर के दर्शन पर चलकर आतंकवाद, पूंजीवाद समेत ऊंच-नीच जैसी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। भगवान महावीर के दर्शन पर चर्चा करते हुए बताया कि भगवान महावीर शुरू से ही अहिंसा के पुजारी थे। भगवान महावीर को यदि अहिंसा के अवतार के रूप में कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि भगवान गौतम बुद्ध व भगवान महावीर समकालीन रहे। दोनों ने ही आत्मा के गूढ़ रहस्य को जाना। भगवान महावीर ने वन में जाकर तपस्या के माध्यम से जो कुछ प्राप्त किया, उसे लोगों में बांट दिया। भगवान महावीर समाजवाद के सच्चे प्रवर्तक रहे। जियो और जीने दो जैसी परंपरा को भगवान महावीर ने स्थापित किया। जिस समय समूचा ब्रह्मांड नफरत और आडंबर के बीच उलझा हुआ था, उस समय भगवान महावीर ने एक दर्शन का आगाज दिया और आज की समस्या कन्या भूर्ण हत्या, पर्यावरण आदि समस्याओं का भी निवारण किया।
फोटो नं. 1 एच.
भगवान महावीर स्वामी
डा. आर. के. जैन राष्ट्रीय चेयरमैन
अल्पसंख्यक आयोग आयोग भारतीय जैन मिलन
E-mail – rkjain826@gmail.com

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