अहिंसा धर्म का मार्ग बताने वाले भगवान महावीर थै

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नैनवा 28 अक्टूबर सोमवार भगवान महावीर जिनालय पर जैन मुनि श्रुतेशसागर जी मुनि सविज्ञसागर जी क्षुल्लक सुप्रकाश जी महाराज वर्षा योग समिति द्वारा पाद पक्षालन चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलित किया
विनोद कुमार मारवाड़ा सतीश जैन सेठी महावीर सरावगी कमल मारवाड़ा रिंकू हरसोला आदि
जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने अपने प्रवचन बताया कि भगवान महावीर का शासन काल 2550 व चल रहा है
उन्होंने प्राणी मात्र को अहिंसा धर्म का पाठ बताया था सभी प्राणीयो दया करो सभी जीवो पर दया करो यह उन्होंने अपने दिव्या देशना में लोगों को बताया
आपका जन्म वैशाली नगरी के कुंडलपुर राजा सिद्धार्थ माता त्रिशला के यहां जन्म हुआ था जन्म महोत्सव के 6 माह पहले ही इंद्रौ द्वारा रत्नौ की 15 माह पहले ही वर्षा की गई थी जब महावीर मुनि मार्ग में थे तप त्याग तपस्या जंगलों में रहकर करते थे 45 दिन 60 दिन 75 दिन में एक बार आहार लेते थे
5 से 6 माह तक तप साधना करके उपवास धर्म साधना में रहते थे
बिहाड जंगलों में मांसाहारी शैरव गाय को अपना उद्बोधन देकर क्षमता भाव का उपदेश दिया शेर ने मांस को त्याग कर संयम धर्म स्वीकार किया शेर और गाय दोनों ही एक घाट पर पानी पीते हुए देखे गए
भगवान महावीर ने बताया कि जैसा व्यवहार आप अपने लिए चाहते हैं वैसा ही दूसरों के लिए करो प्रत्येक जिवो पर दया करना धर्म है
भगवान ने अपने शमो शरण में बताया कि पंथवाद का मतभेद नहीं था
राजा महाराजा सभी एक साथ बैठकर भगवान की वाणी को सुनते थे सभी जिओ पर दया करना महावीर ने एक धर्म बताया
अहिंसा धर्म को बताने वाले भगवान महावीर थे
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर सरावगी

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