आगरा की धरा पर हुआ भावलिंगी संत का भव्य मंगल प्रवेश,आगरा में गूजी आचार्य श्री की पावन बाणी, वही 26 दिसम्बर को हुआ दादा गुरु के ज्येष्ठ शिष्य गणाचार्य पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज से महामंगल मिलन
आगरा मै “जीवन है पानी की बूंदे” महाकाव्य के मूल रचयिता, जिनागम पंथ प्रवर्तक आदर्श महाकवि भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज पधारे आगरा धर्म नगरी में। 25 दिसम्बर पूज्य आचार्य श्री अपने चतुर्विध विशाल संघ सहित आगरा नगरी में पधारे। सकल जैन समाज के विशेष आग्रह पर आचार्य श्री ने नगर आगरा को एक दिन का समरा और प्रदान किया। आगरा दिनांक 26 दिसम्बर को प्रातः काल मैं हुआ *वात्सल्य मिलन परम पूज्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज का अपने दादा गुरु के ज्येष्ठ शिष्य गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महामुनिराज से महामंगल मिलन आगरा के छीपीटोला महावीर कीर्ति स्तंभ चोरहा पर में भव्य मिलन हुआ।