आदमी चिन्तन में नहीं, चिन्ता में जी रहा है।

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आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज औरंगाबाद  /हैदराबाद.पियुष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा. भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार

कुलचाराम हैदराबाद की और अहिंसा संस्कार पदयात्रा चल रहा है  विहार  के दौरान  हैदराबाद को प्रवचन     एक गाली – चार को साथ लेकर आती है..
एक चिन्ता – सौ बिमारीयों को जन्म देती है..!
इसलिए करने दो बकवास, जो करते हैं। खाली बर्तन और खाली दिमाग, हमेशा शोर करते हैं। आज का आदमी चिन्तन में नहीं, चिन्ता में जी रहा है। इसलिए जीते जी मर रहा है।चिन्ता जहर है, इससे दूर रहिये। चिन्ताओं से मुक्त होने के कुछ उपाय हैं, जैसे
आप आपनी सारी चिन्ताओं को एक कागज पर लिखें और ध्यान से तीन बार पढे़ं और उस कागज को जला दें।
आप अपनी चिन्ताओं को अपने धोबी से, या बर्तन माजने वाली बाई से या कुम्हार से कह डालिये।
मन्दिर, मस्जिद, गुरूद्वारा या चर्च में जाकर अपने इष्ट आराध्य परमात्मा को सुना डालिये।
श्री चरणों में सारी चिन्ताओं को डाल आइये। आप महसूस करेंगे कि मैं हल्का हो गया हूँ। यदि चिन्ता तुम्हारे सिर बैठ गई तो फिर वह तुम्हें कभी खड़ा नहीं होने देगी।
इसलिए कहा –
एक चिन्ता – सौ बिमारियों को लेकर आती है…!!!ऐसी  जानकारी  नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद  ने दी

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