जैन संत की दीक्षा का पहला चरण केशलोच होता है: आचार्य श्री प्रमुख सागर
गुवाहाटी : फैंसी बाजार स्थित भगवान महावीर धर्मस्थल में बुधवार को दिगम्बर जैन समाज के महान संत आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज का केशलोंच हुआ। इस अवसर पर आचार्य श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी जैन संत की दीक्षा का पहला चरण केशलोंच होता है।क्योंकि इस प्रक्रिया से शरीर से ममत्व भाव घटता है तथा शरीर का आकर्षण समाप्त होता है। इसलिए आंतरिक चेतना के जागरण और नश्वर देह से राग हटाने के लिए संतों की यह प्रक्रिया जीवन में वैराग्य लाने और कड़ी साधना का एक प्रतीक होती है। उन्होंने कहा कि केशलोंच करना प्रत्येक दिगम्बर जैन साधु का धर्म है। यह एक तप है, जिसे सहज भाव से स्वीकार किया जाता है। केशलोंचन से शरीर को कष्ट देना नहीं बल्कि यह तो उत्कृष्ट साधना का परीक्षण है, जिसे एक वर्ष में चार बार किया जाता है। प्रचार प्रचार के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी ने बताया कि एक दिगम्बर जैन साधु को केशलोच करते देखने से 100 जिनालयों के दर्शन जितना पुण्य मिलता है। प्रचार प्रसार के सह- संयोजक सुनील कुमार सेठी ने बताया कि आचार्य श्री संघस्थ परमाध्या माताजी का भी केश- लोंचन हुआ। इस अवसर पर काफी संख्या में समाज के सदस्य उपस्थित थे।