अभय खेल प्रशाल में हुआ ऐतिहासिक आयोजन, 1000 वर्ष में पहली बार इंदौर बना आयोजन का साक्षी

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धर्म, संस्कृति और आस्था का अद्वितीय पर्व- मां जिनवाणी की भव्य प्रतिष्ठा में उमड़ा श्रद्धा और संस्कारों का सागर
अभय खेल प्रशाल में हुआ ऐतिहासिक आयोजन, 1000 वर्ष में पहली बार इंदौर बना आयोजन का साक्षी

राजेश जैन दद्दू

इंदौर। हजारों वर्षों की परंपरा, संस्कारों की धरोहर और श्रद्धा का विराट स्वरूप… इंदौर ने रविवार को इसे साकार होते देखा। अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में अभय खेल प्रशाल में मां जिनवाणी की दिव्य एवं अद्वितीय प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। लगभग 1000 वर्षों में पहली बार आयोजित इस अनोखे आयोजन में श्रद्धा और संस्कारों का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर 75 इंद्र-इंद्राणियों ने धर्म लाभ प्राप्त कर पुण्य संचय किया।

ध्वजारोहण और मंच उद्घाटन

ध्वजारोहण का पावन कार्य नरेंद्र-शकुन्तला वेद, अमित-शिखा कासलीवाल एवं नवनीत जैन द्वारा संपन्न हुआ। मंच उद्घाटन संदीप-सुनीता जैन मोर्या टी.के.-मंजू वेद ने किया।

चित्र अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन

चित्र अनावरण नवीन गोधा, संजय बड़जात्या, संजय पापड़ीवाल, तल्लीन बड़जात्या एवं पवन पाटोदी ने किया। दीप प्रज्ज्वलन रेखा संजय जैन, जितेंद्र जैन और नकुल पाटोदी द्वारा किया गया।

आरोहण नाम से तैयार होगा धार्मिक परिवार

कार्यक्रम का आरंभ समर्पण डांस अकादमी और परिवहन नगर जैन समाज की महिलाओं द्वारा प्रस्तुत नृत्य मंगलाचरण से हुआ। प्रवचन में मुनि श्री ने कहा कि मां जिनवाणी प्रतिष्ठा महोत्सव संस्कार और संस्कृति को जीवंत रखने का प्रथम चरण है। इसे अक्षर कलश अभियान के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर जैन परिवार का कर्तव्य है कि इस अभियान से जुड़े और दूसरों को भी जोड़ें। मुनि श्री ने आगे बताया कि “आरोहण” नाम से एक धार्मिक परिवार तैयार किया जाएगा, जिसमें युवाओं को जोड़ा जाएगा। इंदौर के 5000 जैन घरों में तुलसी और अन्य पौधे वितरित किए जाएंगे। साथ ही इंदौर में जैन धर्म की धार्मिक यूनिवर्सिटी बनाने की योजना है, जहां नवकार मंत्र से लेकर कर्मसिद्धांत तक की शिक्षा दी जाएगी। 24 कक्षाओं के माध्यम से जैन धर्म का संपूर्ण अध्ययन कराया जाएगा और मोबाइल पर पांच मिनट में हर प्रश्न का उत्तर उपलब्ध कराया जाएगा। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने कहा कि इस अवसर पर श्रीफल न्यूज की संपादिका श्रीमती रेखा संजय जैन को श्रुतासाधिका उपाधि से अलकृंत महासमिति की और से
अलंकृत किया गया। यह उपाधि महासमिति महामंत्री जैनेश जैन, डी.के. जैन प्रतिष्ठा समिति और वर्षायोग धर्म प्रभावना समिति ने मंच पर प्रदान की। मुनि श्री ने संदीप-सुनीता जैन, मोर्या नरेंद्र-शकुन्तला वेद, अमित-शिखा कासलीवाल और भरत-ऋतु जैन को अपने हाथों से शॉल ओढ़ाकर गुरुआशीर्वाद पत्र प्रदान किया।

विधि-विधान और प्रतिष्ठा

हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में मंत्रोच्चारण, पुष्य-क्षेपण और शुद्धिकरण के साथ मां जिनवाणी की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। प्रत्येक जिनवाणी पर स्वयं मुनि श्री ने स्वास्तिक अंकित किए। संपूर्ण विधि-विधान प्रतिष्ठाचार्य भरत शास्त्री और नितेश जैन द्वारा सम्पन्न हुआ।

अध्यक्षीय और स्वागत भाषण

अध्यक्षीय भाषण संदीप जैन ने दिया, जबकि स्वागत भाषण नरेंद्र वेद ने प्रस्तुत किया। प्रतिष्ठा से पूर्व याग मंडल विधान आयोजित किया गया।

भव्य सहभागिता

कार्यक्रम में टी.के. वेद, तल्लीन बड़जात्या, डी.के.जैन रिटायर्ड डीएसपी,पुष्पा कासलीवाल, नमीष जैन, सुदर्शन जटाले, प्रकाशचंद्र जैन, श्रेष्ठी जैन, पवन पाटोदी, जितेंद्र जैन, संजय जैन, कमलेश जैन,सुशील पंड्या ,रितेश कासलीवाल ,अनूप गांधी,वितुल अजमेरा ,मंजू राजेश अजमेरा सहित 75 इन्द्र-इंद्राणियों ने सक्रिय भागीदारी की। व्यवस्था का संचालन परिवहन नगर जैन समाज, महिला मंडल, युवा मंडल और महासमिति ने मिलकर किया।

हुआ पत्रिका विमोचन

अक्षर कलश, आरोहण संस्था और सन्मति वाणी पत्रिका का विमोचन किया गया। मुनि श्री को नई पिच्छी देव जैन मोर्या स्टील द्वारा भेंट की गई, वहीं पुरानी पिच्छी का पुण्य लाभ शकुन्तला वेद, अनुराग वेद और गिरीश वेद ने प्राप्त किया।

इस अवसर पर उपस्थित थे

ब्रह्मचारी जिनेश भैया,राजकुमार पाटोदी,हसमुख गांधी, डॉ जैनेन्द्र जैन राजू जैन,दिलीप पाटनी,निखिल छाबड़ा,विमल अजमेरा,एम के जैन,आर के जैन रानेका ,सुरेन्द्र बाकलीवाल, इन्दर सेठी, डी.के.जैन, बाहुबली पांड्या,रानी अशोक दोषी,मनोहर झांझरी,प्रदीप चौधरी, राजेश जैन दद्दू ऋषभ जैन, , होलास सोनी,रमेश जैन, रितेश पाटनी, विजय काला, कमलेश जैन, आदित्य जैन, विनोद जैन, हितेश कासलीवाल ,आदित्य जैन,विजय काला,कमलेश कासलीवाल, आदि उपस्थित थे

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