उत्तम मार्दव धर्म – विनय भाव ही मानवता का सार है ।
ष्अजमेर 29 अगस्त, 2025 दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख पर्व दसलक्षण धर्मश्रृंखला के तअन्तर्गत आज दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म का अर्थ -मानव में नम्रता या मृदुता का होना और अहंकार भाव न होना ही उत्तम मार्दव धर्म है । दिगम्बराचार्यो ने मात्र झुकने को ही विनय नहीं कहा है जिसका हृदय मृदु नहीं यदि उसका सिर भी झुकता है तो स्वार्थ के पीछे और षिष्टाचार के लिए । कभी-कभी विनय में मान छुपा रहता है मृदुता अंदर का गुण है । अंदर से अकडपन रहे और बाहर से विनय हो, यह मृदुता नहीं है । क्योकि कहा भी है -नमन नमन में फेर है, अधिक नमे नादान । अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा अजमेर संभाग के महामंत्री कमल गंगवाल व संभाग संयोजक संजय कुमार जैन ने जानकारी देते हुये बताया कि आज के दसलक्षण पर्व का उदेष्य -‘‘ यदि राम बनना है तो विनयी बनो, राम का सभी जाप करते है विनय राम है, मान रावण का रूप है । जो मानी है वह रावण का वंषज है इसलिए विनयी बनकर श्रेयस को प्राप्त करो, यही मानवता का सार है ।
गंगवाल व जैन ने बताया कि आज प्रातः सभी जिन मन्दिरजी, नसियांजी, कालोनियों के मन्दिर, अतिषय क्षेत्र पर पुण्यार्जक परिवारों द्वारा जिनेन्द्र अभिषेक एंव वृहदषान्तिधारा सभी श्रीजी भगवान पर की गई । तत्पष्चात दसलक्षण महामंडल विधान के मांडने पर दस धर्म के अन्तर्गत आज नित्य नियम पूजन, नवदेवता पूजन, सोलहकारण पूजा, दसलक्षण धर्म पर पूजा, उत्तम मार्दव धर्म पर पूजा की गई और मांडने पर अष्टद्रव्य श्रावकों द्वारा समर्पित किये गये ।
दसलक्षण धर्म के सभी मन्दिरजी व नसियांजी में दोपहर में तत्वार्थ सूत्र वाचन, सांय महाआरती, णमोकार पाठ हुआ तत्पष्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम हुये ।
शनिवार को उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन आदि कार्यक्रम होंगें ।
संजय कुमार जैन संभाग संयोजक 9828173258