दिगम्बराचार्य भी विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने कहा कि लक्ष्य का बोध ही सफलता के निकट ले जाताक़ हैं।
आचार्य श्री ऋषभ सभागार मे धर्मसभा में मंगल प्रवचन दे रहे थे।उन्होंने कहा कि – ” सत्यार्थ-बोध के बिना आत्म शोध असम्भव है। भव्यात्माओं को आत्म कल्याण के लिए सर्व-प्रथम सत्य का बोध गुरू मुख से उनकी पवित्र-वाणी से प्राप्त करना चाहिए। बोध ही शोध कराता है। बोध के अभाव में शोध नहीं और शोध के बिना कल्याण नहीं।”
मंजिल तक पहुँचने के लिए मार्ग का बोध होना चाहिए। मार्ग ही विपरीत होगा तो चलने से क्या होगा ? चलना महत्त्वपूर्ण नहीं है, सही- दिशा में बढ़ाया गया एक पग भी दूरी कम करता है। लक्ष्य का बोध ही सफलता के निकट ले जाता है। प्रबल-पुरुषार्थ, अभ्यास, भाग्योदय पर बनता है कार्य। दृष्टि मत हटाओ, लक्ष्य पर दृष्टि लगाओ, मंजिल पाओ।
,समय से पहले, भाग्य से अधिक, पुरुषार्थ के बिना किसी को कुछ नहीं मिलता है। सम्यक्-पुरुषार्थ करो, भाग्य पर भरोसा रखो, धैर्य मत छोड़ो, अवश्य ही लक्ष्य पूर्ण होगा। पुरुषार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाता, अभ्यास अनुभव बढ़ाता है। अभ्यास, अनुभव असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाता है।
परस्पर एकता, सहयोग, समर्पण से ही मानव विकास कर सकता है। परस्पर एक-दूसरे का यथा-योग्य उपकार करने से संबंध मधुर होते हैं।
ऋषभ सभागार मे आज आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुशिष्य मुनि श्री जयंद्र सागर जी महाराज, मुनि श्री जितेंद्र सागर जी महाराज और मुनि श्री जयंत सागर जी महाराज का प्रथम दीक्षा दिवस जैन श्रधालुओ द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।ज्ञात हो कि गत वर्ष 6 नवंबर 2022 को तीनो मुनिराजो की मुनि दीक्षा आचार्य श्री के सानिध्य मे रायपुर छत्तीसगढ मे हुई थी श्रधालुओ ने तीनो मुनिराजो का पाद प्रक्षालन किया, आरती की और उन्हे शास्त्र भेंट किये।सौरभ भवन मे आहार के बाद तीनो मुनिराजो को बैंड बाजे के साथ नाचते हुए जैन श्रधालु भक्ति भाव से अतिथि भवन मे लेकर पहुचें।
इस अवसर पर प्रवीण जैन, सुरेंद्र जैन, सुभाष जैन, अतुल जैन, सुनील जैन,विवेक जैन,वरदान जैन,अशोक जैन राकेश जैन, दिनेश जैन,आनंद जैन वरदान जैन जैन, आदि उपस्थित थे।
अतुल जैन बुढ़पुर वाले मीडिया प्रभारी