आत्मिक सुख ही सबसे बड़ा शाश्वत सुख है: आचार्य प्रमुख सागर

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भगवान महावीर धर्मस्थल में विराजित आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा की इंद्रिय सुख शाश्वत नहीं है, छवंगवत है।  शाश्वत सुख ही आत्मा का सुख है। आत्मा का सुख एक बार प्राप्त हो जाए , तो फिर इच्छा वगवंत सुख कोई मायने नहीं रखता है । स्वर्गों में सुख ही सुख है। मनुष्यों में सुख ज्यादा दुख कम है । त्रिजंयो मे  दुख ज्यादा सुख कम है । यह जीवन हमारा ऐसा ही है। नरक में दुख ही दुख है। इसीलिए हमें शाश्वत सुख ही पाना है , तो हमें छवगवंत  सुख को छोड़ना पड़ेगा। पदात्तो में शाश्वत सूख नहीं है व शरीर में भी  शाश्वत सूख नहीं है। शाश्वत सुख अपनी आत्मा में है । उसको पाने का प्रयास करो ।आत्मिक सूख ही सबसे बड़ा शाश्वत सूख है। इससे पूर्व आज आचार्य श्री प्रमुख सागर‌ के सान्निध्य एवम मुखारविंद से महावीर धर्म स्थल में स्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय में श्री जी की शांतिधारा करने का परम सौभाग्य कैलाशचंद, प्रकाशचंद, विनोद कुमार, कमल कुमार, पवन कुमार काला परिवार रंगिया/गुवाहाटी/दिल्ली को प्राप्त हुआ।  इस अवसर पर काफी संख्या में गुरु भक्त उपस्थित थे। यह जानकारी समाज के प्रचार प्रसार विभाग के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी व सह संयोजक सुनील कुमार सेठी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति मे दी गई है।।
सुनील कुमार सेठी
गुवाहाटी

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