नैनवा जिला बूंदी राजस्थान 26 अगस्त मंगलवार 2025
नैनवा शांति वीर धर्म स्थल पर वर्षा योग कर रहे आचार्य विनिश्चय सागर महाराज के परम पावन प्रभावक शिष्य प्रज्ञानसागर प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया 10 धर्म में सबसे प्रथम धर्म क्षमा धर्म को बताया गया है यह ऐसा धर्म है जो किसी भी प्राणी से कहा सुनी होने पर वाद विवाद होने पर आप अपनी ओर से क्षमा मांग लो उसके मन में आपके प्रति श्रद्धा की भावना उत्पन्न हो जाएगी क्षमा शब्द ऐसा है जो दुश्मन को भी दोस्त बना देता है कठोर को भी निर्मल बना देता है इसलिए हमें क्षमा धर्म को प्रथम रखा गया है
महाराज ने यह भी बताया की प्रयुर्षण पर्व आने के 15 दिन पहले माताएं अपने घरों में साफ सफाई करना प्रारंभ कर देती है बर्तनों को साफ करती है मकान को साफ करती है मसालो के डिब्बो को साफ करती है ताजा मसाला तैयार करती है गेहूं का शोधन करती है यह सब क्रियाएं हमारे 15 दिन पहले से प्रारंभ होने लग जाती है तभी परिवार में छोटे-छोटे बच्चों को मालूम हो जाता है कि हमारा महान पर्व प्रयुर्षण आ रहा है इसलिए हमारी माताएं घर की सफाई करना प्रारंभ कर रही है बाजार की कोई भी वस्तु 10 दिनों तक घर में नहीं लाई जाएगी
अभक्ष किसी भी प्रकार का सामान रसोई में प्रवेश नहीं होगा 10 दिनों में इतनी शुद्धता से आप आहार करो कि आपकी आत्मा को लगेगा कि मेरा जैन धर्म जैन परिवार में जन्म लेना सार्थक हुआ पहली बार मैं शुद्ध भोजन अपनी आत्मा को खिला रहा हूं शुद्ध भोजन से अपनी आत्मा पवित्र होती है।
मुनि ने बताया जो प्राणी अज्ञानता वस देव शास्त्र गुरु का अपमान करता है वह अपनी छोटी बुद्धि के कारण ही ऐसा कर रहा है कर्म कभी भी किसी को नहीं छोड़ना चाहे वह श्रावक को या साधु हो कर्म की वेदना बड़ी ही विचित्र है उसे भोगना ही होगा
मनुष्य को भोग भोगते हुए पूरा जीवन निकल गया फिर भी उसकी त्रप्ति भोगों से नहीं हुई जीभ का स्वाद ही है जो अक्षय पदार्थ खाने पर भी मनुष्य बहुत खुशी होकर खा रहा है आप अक्षय वास्तुओ खाना ही मुनि ने महान पाप बताया इससे छोटे-छोटे जीवों का घात होता है जो पाप कारण बताया
प्रयुर्षण महापर्व पर हमारी आत्मा की सफाई के लिए आया है अच्छे कपड़े पहनने से संस्कार कभी भी उत्पन्न नहीं होते मन में अच्छे विचार उत्पन्न होने से ही संस्कारों का महत्व मुनि ने बताया
संयम ही सबसे बड़ी साधना है
जैन मुनि प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया अक्षय वस्तुएं खाने से ही ज्यादा कर मनुष्य बीमार होते है
साधु बीमार होने पर वेद से औषधि आहार के समय ही लेते हैं जिससे रोग दूर हो जाता है चिकित्सालय गोलियां टैबलेट सुइयां औषधि पटीया आदि का साधु कभी प्रयोग नहीं होता साधु संयम से ही अपना जीवन निर्वाह करते हैं संयम ही सबसे बड़ा साधु ने अपना उपकरण बताया साधु का जीवन ही संयमी जीवन है
महाराज ने यह भी बताया की धर्म मनुष्य की आत्मा से दूर चला गया उसे आत्मा में लाना होगा जब धर्म आएगा तो धन तो धर्म के पीछे अपने आप ही चला आएगा
जहां पर धर्म होता है धर्म की क्रिया होती है साधुओं का वही मिलन होता है धर्म ही संस्कारों की जननी है
भगवान का दीप प्रज्वलित
नितिन सरावगी जयपुर पारस मोडीका कैलाश ठग नरेश मोडीका
द्वारा किया गया
जैन युवा सेमिनार में आए बहार के अतिथि में मंच संचालन श्रीमती सुधा जैन चौधरी विदिशा बाल ब्रह्मचारी पीयूष जैन शिविर के वक्ता रितेश जैन गाजियाबाद का 20 पथ समाज के अध्यक्ष कमल कुमार मारवाड़ा वर्षा योग के अध्यक्ष विनोद बरमुंडा कोषाध्यक्ष अशोक जैन अध्यापक
प्रचार मंत्री महावीर सरावगी मंच संचालन मोहन मारवाड़ा
संजय मारवाड़ा विनोद कुमार मारवाड़ा आशीष मोडीका जॉनी जैन उप मंत्री विनोद सरावगी ज्ञानचंद जैन आदि पदाधिकारी ने तिलक माला पगड़ी दुपट्टा पहनाकर प्रसन्न चिन्ह देकर स्वागत सम्मान किया
महावीर कुमार सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान
महावीर कुमार सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान