नवागढ़ (मनोज जैन नायक) विश्व के एक मात्र अरनाथ अतिशय क्षेत्र में पुरा संपदा का भंडार है । क्षेत्र पर पुरा संपदा का अन्वेषण एवं संरक्षण बखूबी किया जा रहा है ।
प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में भगवान अरनाथ स्वामी के अतिशय के साथ संरक्षित हजारों वर्ष प्राचीन शैलाश्रय, 8000 वर्ष प्राचीन जैन रहस्य वाले शैलचित्र, 3000 वर्ष प्राचीन उत्कीर्ण कला तथा सातवीं सदी के स्थापत्य कलायुक्त भौंयरा एवं मूर्ति शिल्प जैन धर्म की प्राचीनतम एवं महत्वशाली साक्ष्य हैं।
पुरा संपदा
यहां संग्रहीत पुरा संपदा में पाषाण कालीन औजार, मूर्ति शिल्प, चंदेल बावड़ी, काष्ठ बेदी, काष्ठ मानस्तंभ, काष्ठ मंदिर, काष्ठ परात मिट्टी के विशिष्ट शिल्प, धातु शिल्प आभूषण, रजत एवं ताम्र के सिक्के, पाषाण मिट्टी एवं रतन के मनके प्राचीन गाथा के सशक्त साक्ष्य हैं।
संरक्षण
इस पुरा संपदा का रासायनिक संरक्षण एन आर एल सी लखनऊ के प्रशिणार्थी 25- 25 छात्रों द्वारा कई शिविरों में सतत संरक्षण का कार्य डॉक्टर वि बी खरबड़े के निर्देशन तथा श्री पी के पांडे के सानिध्य में संपन्न हुआ है ।
शोध ग्रंथ
डॉ अर्पित रंजन पुरालेख विद् भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ए एस आई दिल्ली ने यहां के अभिलेख एवं पुरातत्व पर डॉ प्रकाश राय के निर्देशन में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने का गौरव प्राप्त किया है।
श्रीमती अर्चना जैन पम्मी बरायठा ने एकलव्य विश्वविद्यालय के निदेशक आर सी फौजदार एवं डॉ अभिषेक जैन के निर्देशन में नवागढ़ साहित्य पर शोध कार्य आरंभ किया है । जो लगभग पूर्ण होने को है।
श्री संजय जी आठिया ने नवागढ़ के संलग्न नगरों में पुरातात्विक धरोहर विषय पर सर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से शोध कार्य कर रहे हैं।
संरक्षण एवं आकलन
नवागढ़ क्षेत्र की पुरा संपदा के शोध, काल निर्धारण, धार्मिक, ऐतिहासिक, एवं पुरातात्विक विश्लेषण के लिए पनस एन जी ओ दिल्ली की पांच सदस्यीय अन्वेषण टीम श्री राज कुंवर विष्ट के निर्देशन में कार्यरत हैं। आपने यहां संग्रहहीत कला शिल्पो का अवलोकन करते हुए नवागढ़ को सातवीं सदी का क्षेत्र घोषित किया है । यहां प्राकृतिक रूप से निर्मित भौंयरे में अरनाथ स्वामी विराजमान है ।
अन्वेषण एवं अन्वेषक
क्षेत्र निर्देशक ब्रह्मचारी जयकुमार निशांत भैया ने बताया नवागढ़ की सांस्कृतिक , धार्मिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक एवं शैक्षिणिक विधाओं का अन्वेषण देश के ख्याति प्राप्त पुरातत्व विद् एवं इतिहास विद् डॉ मारुति नंदन प्रसाद तिवारी, डॉ शांति स्वरूप सिंहा वाराणसी, डॉ भागचंद्र भागेंदु दमोह, डॉ कस्तूरचंद सुमन, श्री महावीर जी, डॉ बृजेश रावत लखनऊ, डॉ गिरिराज कुमार आगरा, डॉ सलाहुद्दीन सागर, डॉ एस के दुबे झांसी, श्री नरेश पाठक ग्वालियर डॉ काशी प्रसाद त्रिपाठी, श्री हरि विष्णु अवस्थी टीकमगढ़ के निर्देशन में किया गया है ।
संगोष्ठियां
पंडित गुलाबचंद पुष्प प्रतिष्ठा पितामह के जन्म शताब्दी समारोह पर स्मरणांजलि ग्रंथ का लोकार्पण संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज के मंगल सानिध्य में इंदौर में किया गया ।नवागढ़ क्षेत्र के पुरातत्व इतिहास एवं पुष्प जी के अवदान पर आचार्य श्री उदासागर महाराज के संदेश में इंदौर में एवं दिल्ली, टीकमगढ़, ललितपुर एवं नवागढ़ में पुरातत्व एवं शोधकर्ताओं द्वारा संगोष्ठी का आयोजन नवागढ़ समिति, नवागढ़ गुरुकुलम एवं पुष्प जी के परिवार के सहयोग से संपन्न किया गया। जिसमें 50 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया ।
गुरुकुल
नवागढ़ में संचालित गुरुकुलम के छात्रों ने रेवाड़ी , खुरई एवं मडिया में प्रवीण सूची में स्थान प्राप्त कर गौरव बढ़ाया है ।
समिति के अध्यक्ष सनत कुमार एडवोकेट, महामंत्री वीर चंद्र नैकोरा, कोषाध्यक्ष पंडित इंद्र कुमार शास्त्री, गुरुकुल अध्यक्ष राकेश लोटस, उपाध्यक्ष अभय जैन प्रीत विहार, कोषाध्यक्ष डॉ प्रदीप जी छतरपुर, इंजीनियर शिखर चंद्र टीकमगढ़, प्रचार मंत्री डॉ सुनील संचय, धीरेंद्र धीरेंद्र पत्रकार ने सभी से नवागढ़ क्षेत्र में विराजित मनोकामना पूर्ण अतिशय कारी अरनाथ स्वामी के अतिशय तथा यहां संग्रहित पुरा संपदा, गुफाएं, शैलचित्र आदि का अवलोकन करने का निवेदन किया है।
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha