आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने व्यंग्य के माध्यम से जैनों की एक नई कैटेगरी बनाई, जो मुझे बहुत पसंद आई।
इसमें समाज में 5 प्रकार के जैन बताए गए –
1. सदैयाँ जैन – जो सदैव अर्थात 12 महीने मंदिर देव दर्शन के लिए जाते है और पुण्यार्जन कर जीवन को धन्य बनाते रहते हैं।
2. भदैयाँ जैन – जो सिर्फ भादों के महीने में देव दर्शन करते है और मौके के भक्त होते हैं।
3. कदैयाँ जैन – जो सिर्फ कभी कभी देव दर्शन करते है जैसे किसी रिश्तेदार या मेहमान को मंदिर घुमाने ले जाते हैं या कोई मौका आया तो तीर्थ में घूमने के बहाने देव दर्शन करते हैं।
4. लड़ैया जैन – जिनका उद्देश्य धार्मिक प्रसंगों में सिर्फ विघ्न डालना है और जो आपस में लोगों को लड़वाकर खुद निकल जाते हैं।
5. मरैयाँ जैन – जो सिर्फ किसी के मर जाने के बाद शांति पाठ में शामिल होने के लिए मंदिर जाते है।
आप कौन से जैन है सोचिए, विचारिये और इस दसलक्षण पर्व से सदैयाँ जैन बनिये।
आप सभी को चित्त को निर्मल करने वाले दसलक्षण पर्व की शुभकामनाएं।
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योगेश जैन संवाददाता टीकमगढ़
🙏जय जिनेंद्र🙏