आज घरों से हंसी गायब होकर पार्कों में बनावटी हंसी में तब्दील

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वर्तमान समय में बड़ी तेजी के साथ बहुत बड़े बदलाव हुए हैं इस बदलाव की बयार में एक ऐसा बदलाव हुआ है जिसने संपूर्ण जीवन के अस्तित्व को कुछ नकार सा दिया है।
आइए कुछ स्वस्थ चर्चा करते हैं वर्तमान में घरों से हंसी गायब होकर पार्कों में सुबह व्यायाम के समय बनावटी हंसी में तब्दील होना एक आम सी बात हो गई है। इसके अतिरिक्त यदि चर्चा करें कि वर्तमान में लाफ्टर क्लब खोले जा रहे हैं, जहां जाकर लोग अनावश्यक हंसी के रूप में हंसने का प्रयास करते हैं जिसमें स्वाभाविकता कही दृष्टिगोचर नही होती है। घरों में पहले खुलकर लोग हंसा करते थे। एक दूसरे के साथ बैठकर मजाक किया करते थे और वह हंसी वास्तविक हंसी थी। जो संपूर्ण मानवीय देह को स्वस्थ रखने में कारगर थी। किंतु अब समय का अभाव हो चुका है प्रत्येक व्यक्ति काम के बोझ से दबा व स्वयं में ही रिजर्व रहने की प्रवृत्ति से ग्रसित नजर आता है। बच्चों का बचपन पढ़ाई के बोझ तले दब सा गया और बचा हुआ समय मोबाइल ने खा लिया है। एक साथ बैठने के लिए किसी के पास समय ही नहीं है यदि कोई समय निकालना भी चाहे तो सामने वाले के पास समय नहीं है ।
घरों की हंसी, किलकारियां और एक दूसरे के साथ मस्तियां बहुत दूर जा चुकी हैं। कहा गया है कि जिस घर में बुजुर्ग हंसते हैं उस घर में भगवान बसते हैं अब जब बुजुर्ग हंसते ही नहीं है तो भगवान का आगमन घर में कैसे होगा। लोग हंसना भूल गए हैं उसके लिए अलग से क्लास ज्वाइन की जा रही हैं। लाफ्टर क्लब ,पार्को,योग केंद्रों पर तालिया बजाना व हंसना सिखाया जा रहा है। जिससे शारीरिक व मानसिक रूप से आप स्वस्थ व स्फूर्ति पूर्वक जीवन जी सकें। पुनः इस और लौटना होगा घरों की हंसी को फिर से स्थापित करना होगा तभी स्वस्थ जीवन जिया जा सकेगा । सादर प्रणाम।।
संजय जैन बड़जात्या कामां सवांददाता जैन गजट

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