आदि सागर अंकलीकर महाराज के त्याग तपस्या तेजस्वी प्रमाण का भव्य नाटिका मंच पर प्रस्तुति दी

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साधुओं व श्रावको योग को ही वर्षा योग करते हैं
परम तपस्वी आचार्य सुनील सागर महाराज
नैनवा संवाददाता महावीर सरावगी
किशनगढ़ 11 मई मंगलवार दोपहर 2:00 बजे कम्युनिटी सेंटर
आचार्य सुनील सागर जी महाराज के परम सानिध्य में आदि सागर महाराज महावीर कीर्ति जी विमल सागर जी आचार्य समाधि सम्राट सन्मति सागर जी महाराज के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया
आदि सागर जी महाराज का नाम देवगौड़ा था जो अंकली ग्राम में जन्मे थे इस कारण उनका नाम अंकलीकर कहलाये बहुत तपस्वी त्याग की अद्भुत गाथा चतुर्थ पत्ताधीश सुनील सागर महाराज ने अपार भक्तों को बताया कि आदि सागर महाराज 8 व9 उपवास लगातार करते थे इतनी सहनशक्ति उन में विद्यमान थी उस समय दिगंबर अवस्था में साधु विचरण नहीं कर सकते थे उन्होंने दिगंबर अवस्था का निर्वाह कर मुनि धर्म का पालन कर जैन धर्म सिद्धांत को जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया इस कारण उनके वैभव उनके प्रभाव उनकी तेजस्वी उनका धैर्य इन गाथाएं मुनि ने उनके अद्भुत गुणों की प्रशंसा करते हुए बताया इस कारण आज उनके जीवन की गाथा को गुणगान भक्तों को बताया गया ऐसे महान संत मुनि को बाहर से आए भक्तों ने कोटि-कोटि नमन किया

वर्षा योग के लिए संपूर्ण राजस्थान नहीं
एमपी युपी दिल्ली से अनेक भाइयों से भक्तों ने श्रीफल भेंट किया महानगरी दिल्ली जयपुर मालपुरा फागी नैनवा किशनगढ़ आदि स्थानों से अपार साधनों से भक्त किशनगढ़ पहुंचे और श्रीफल भेंट किया
आदि सागर अंकलीकर जन्म से मुनि दीक्षा की भव्य नाटिका का मंचन मंच पर किया
किशनगढ़ शहर में यह पहले नाटिका थी जिसको देखकर अपार भक्तों ने छोटे-छोटे स्कूल के छात्रों को अपनी तालिया से गड़गड़ाहट से गुंजायमान किया
सुधा सागर जैन पाठशाला किशनगढ़ की दो बालिकाओं ने केसरिया लिबास मेंऐसी भव्य नृत्य की प्रस्तुति दी है देखकर बाहर के आए हुए जैन श्रावक हर्ष उल्लाह से आभार प्रदर्शित किया नन्हे मुन्ने बालिकाओं ने हाथ से आदि सागर अकलीकर की ऐसी भव्य तस्वीर भी मुनि को समर्पित भावना से भेट की
मंच पर स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा आदि सागर अंकलीकर मुनि दीक्षा का वर्णन भी आहार विधि कमंडल लेकर पड़गांवन की विधि की
सुधा सागर जैन पाठशाला के संपूर्ण स्टाफ द्वारा ऐसी सुंदर भव्य नाटिका पहली बार किशनगढ़ में प्रस्तुत की गई
आचार्य सुनील सागर महाराज की परम शिष्य पूर्णिमा दीदी ने बताया
दिगंबर अवस्था भगवान की साक्षी में दीक्षा लेना जिनकी त्याग तपस्या से संपूर्ण दिगंबर जैन परंपरा को निर्वाह करने वाले आदि सागर अंकलीकर महाराज आज के सभी साधु उनके बताए हुए दिशा निर्देश और मार्ग पर चल रहे हैं जैन धर्म के पताका पहनाने वाले पहले दिगंबर साधु आदि सागर अंकलीकर थे

महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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