मड़ावरा, ललितपुर। दिगम्बर जैन परंपरा के सुप्रसिद्ध प्रमुख संत , चर्या शिरोमणि ,आध्यात्मिक संत आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज का 52वां जन्म दिवस समारोह मड़ावरा में हर्षोल्लास के साथ श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। इस मौके पर आयोजित परिचर्चा में आचार्यश्री के अवदान को रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन समाज श्रेष्ठी डॉ विरधी चंद्र जैन एवं राजू सौरया ने किया। इसके बाद दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा द्वारा संचालित श्री वर्णी बाल विद्या मंदिर मड़ावरा में फल वितरण एवं विशेष सहयोग किया गया।
आयोजन को सफल बनाने में वीरेंद्र जैन लालू, राजेश राजू गैस, डी. के. सराफ, कमलेश जैन, मयंक जैन प्रकाश मेडिकल, राजेश खुटगुवा, सुधीर जैन, शीतल जैन बरायठा, प्रिंस कारीटोरन, प्रवीण सेठ, सुनील जैन फर्नीचर, चेतन जैन, अनुभव कपासिया आदि का योगदान रहा।
वर्णी बाल विद्या मंदिर की प्रधानाचार्य हर्षा सेठ ने आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्र संत आचार्य भगवन्त आध्यात्म योगी आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज यथा नाम तथा गुण रुप हैं। जैसा नाम है, वैसा ही आचरण है।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने जन-जन में प्रवाहित की आध्यात्म की धारा : अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद के प्रचार मंत्री डॉ सुनील जैन संचय ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्र संत आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ने आध्यात्म के वैभव को स्वयं आत्मसात करते हुए उसे जन-जन तक पहुँचाया है। आचार्यश्री विशाल ह्रदय वाले हैं। उन्होंने देशना ग्रंथों के माध्यम से प्रभावना के नए आयाम स्थापित किये हैं। आचार्यश्री चारित्र के हिमालय हैं। वात्सल्य की गंगा वे निरंतर प्रवाहित कर रहे हैं।