आप और हम सब नें यह अनुभव किया ही होगा कि जिन्दगी में कितना कुछ भी अच्छा हो, हम उन्हीं चीजों को देखते हैं जो मिसिंग हैं और यही हमारे दुःख का सबसे बड़ा कारण है।
भगवान ने हमे 32 दांत दिये, लेकिन हमारी जीभ उस टूटे हुए दांत पर ही क्यूँ जाती रहती हैं, कभी सोचा है ।
घर पर आपका ध्यान उसी फर्नीचर पर जाता है जो अपनी जगह पर से हटा दी गयी होगी।
यहाँ तक की अगर एक माँ के तीन संताने हो और उनमें से एक सन्तान विदेश गया हुआ होगा, तो माँ अपने उसी सन्तान के बारे में ज़्यादा सोचती हैं जो विदेश गया हुआ है , ना कि उन दो संतानो के बारे में जो उसके साथ रहते हुए उनकी सेवा करते रहते हैं।
ऐसे बहुत से उदाहरण हो सकते हैं जिसमें हम अपनी किसी एक कमी के पीछे सारा जीवन दुखी रहते हैं।
एक बार की बात है एक शहर में एक मशहूर होटल मालिक ने अपने होटल में एक स्विमिंग पूल बनवाया। स्विमिंग पूल के चारों ओर बेहतरीन इटैलियन टाइल्स लगवाये, परन्तु मिस्त्री की गलती से एक स्थान पर टाइल लगना छूट गया। अब जो भी आता पहले उसका ध्यान टाइल्स की खूबसूरती पर जाता। इतने बेहतरीन टाइल्स देख कर हर आने वाला मुग्ध हो जाता। वो बड़ी ही बारीकी से उन टाइल्स को देखता व प्रशंसा करता। तभी उसकी नज़र उस मिसिंग टाइल पर जाती और वहीं अटक जाती…. उसके बाद वो किसी भी अन्य टाइल की ख़ूबसूरती नहीं देख पाता। स्विमिंग पूल से लौटने वाले हर व्यक्ति की यही शिकायत रहती की एक टाइल मिसिंग है।
हजारों टाइल्स के बीच में वो मिसिंग टाइल उसके दिमाग पर हावी रहता था। कई लोगों को उस टाइल को देख कर बहुत दुःख होता कि इतना परफेक्ट बनाने में भी एक टाइल रह ही गया तो कई लोगों को उलझन होती कि कैसे भी करके वो टाइल ठीक कर दिया जाए। बहरहाल वहां से कोई भी खुश नहीं निकला, और एक खूबसूरत स्विमिंग पूल लोगों को कोई ख़ुशी या आनंद नहीं दे पाया |
टाइल तक तो ठीक है लेकिन यह हम सभी की कहानी है, यही बात हमारी जिंदगी में भी हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जिससे हर व्यक्ति गुज़र रहा है। उन चीजों पर ध्यान देना जो हमारे जीवन में नहीं है, आगे चल कर हमारी ख़ुशी को चुराने की यही सबसे बडी वजह बन जाती हैं।
दोस्तो, मिसिंग टाइल कंसेप्ट हमारा फोकस चुरा कर हमारी जिन्दगी की सारी खुशियाँ चुराता है। अब हमारे हाथ में है कि हम अपना फोकस मिसिंग टाइल पर रखे और दुखी रहें या उन नेमतों पर रखे जो हमारे साथ है और खुश रहें…
योगेश जैन, टीकमगढ़