आचार्य 108 श्री सौरभ सागर जी मुनिराज को जिनवाणी संवर्द्धन केन्द्र की कार्य-प्रणाली से कराया अवगत ‌

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फागी संवाददाता

जयपुर शहर में दिगम्बर जैन समाज बापू नगर सम्भाग द्वारा अध्यक्ष महेन्द्र कुमार जैन पाटनी एवं मंत्री डा .राजेन्द्र कुमार जैन के निर्देशन में संचालित जिनवाणी संवर्द्धन केन्द्र की गतिविधियों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी केन्द्र के संयोजक हीरा चन्द बैद ने संस्कार प्रणेता, जीवन आशा हास्पिटल व सौरभाचंल तीर्थ के प्रणेता गुरूदेव 108 आचार्य श्री सौरभ सागर जी मुनिराज को प्रदान की ।आचार्य श्री ने जिनवाणी संवर्द्धन केन्द्र की सराहना की व संयोजक हीरा चन्द बैद को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि पुराने मन्दिरों में प्राचीन पांडुलिपियां की साज-सम्हाल के अभाव में प्राचीन धरोहर लुप्त होती जा रही है इन धरोहरों के संवर्द्धन हेतु समाज को जागृत करने की आवश्यकता है इस अवसर पर उपस्थित गुरूदेव के भक्तों द्वारा जिनवाणी संवर्द्धन के विषय में अपनी जिज्ञासा प्रकट करने पर संयोजक हीरा चन्द बैद ने कहा कि मन्दिरों व घरों आदि स्थानों पर रखी अनुपयोगी धार्मिक पुस्तकें,पोस्टर, जैन पत्र-पत्रिकाएं कबाड़ियों को रद्दी में न बेच कर संयोजक के मोबाइल नंबर 98281 64556 पर सम्पर्क कर जिनवाणी संवर्द्धन केन्द्र ‌, एस-21 सरदार भवन, मंगल मार्ग, बापू नगर, जयपुर पर पंहुचा दें‌ यहां प्राप्त पुस्तकों को शास्त्री विद्वानों द्वारा छंटनी की जाती है व अच्छी स्थिति वाली पुस्तकें आवश्यकतानुसार मन्दिरों, पुस्तकालयों, विद्वानों, मुनिराजों, आर्यिका माताओं व शोधकर्ताओं को
पहुंचा दी जाती है। बिल्कुल जीर्ण क्षीर्ण पुस्तकों को फैक्ट्री में गलवा दिया जाता है,अभी तक जयपुर के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा, चण्डीगढ़, कानपुर, मुम्बई, ग्वालियर, भरतपुर, बारांबंकी, लालसोट, बगरु,दहमीकला, केकड़ी, आदि स्थानों से प्राप्त सैंकड़ों की संख्या में प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ एवं साहित्य श्री महावीर जी क्षेत्र द्वारा जयपुर में संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी, दिगम्बर जैन छात्रावास, भट्टारक जी की नसियां, श्री महावीर जी क्षेत्र, पंडित टोडरमल स्मारक भवन स्थित पुस्तकालय, तरुण सागर जी महाराज, आचार्य वसुनंदी जी महाराज, गणनी विशुद्धमती माता जी, अनेक मन्दिरों में व और विद्वानों को भेंट की गई है।

राजाबाबु गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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