मुझे पूज्य आचार्य विद्यानंद मुनिराज जी के सान्निध्य में 18 वर्ष रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | आज उनके जन्मशताब्दी वर्ष पर प्रमुख शिक्षाएं जो उनके जीवन से ग्रहण करने योग्य हैं उन्हें मैं यहां बिंदुवार लिख रहा हूं क्योंकि उनके अनेक गुणों में से ये कुछ प्रमुख गुण थे जो उन्हें खास बनाते थे । यह हम सभी के लिए अनुकरणीय है –
१. बिना आगम प्रमाण के जिनवाणी संबंधी लेख न लिखना ।
२. आगम प्रमाण के साथ ही प्रवचन करना ।श्रोताओं के स्तर के अनुसार खुद को न गिराकर ,अपनी रोचक और सरल शैली में गंभीर निरूपण करके श्रोताओं का स्तर बढ़ाना ।
३.प्रवचन में अनर्गल प्रलाप न करना । कभी किसी पर अनावश्यक टिप्पणी न करना ।
४. बिना पूर्व तैयारी के कुछ न कहना न लिखना ।कभी हल्की और स्तर हीन बातें नहीं करना ।
५. ग्रंथों के स्वाध्याय के समय डायरी में महत्वपूर्ण संदर्भ लिखना ।
५. जैन आध्यात्मिक भजन संगीत के शास्त्रीय स्तर को प्रोत्साहित करना ।
६. जैन संस्कृति,इतिहास,कला एवं पुरातत्व की समझ तथा इसका महत्व दुनिया को बताना ।
७. संस्कृत प्राकृत आदि प्राचीन भाषाओं की गहरी समझ रखना और उसको उच्च स्थान देना ।
८. अपने से इतर धर्म, संप्रदाय और पंथ वालों से सद्भाव बनाकर चलना , उनको उचित सम्मान देना तथा किसी की सार्वजनिक निंदा न करना ।
९. बड़े विद्वानों,बड़े राजनेताओं तथा बड़े उद्योगपतियों से स्तरीय वार्तालाप करना ।उन्हें जैन धर्म तथा दर्शन का महत्व उन्हीं की भाषा में समझाने की कला रखना ।
१०. स्वयं अनुशासन में रहना तथा आत्म अनुशासित को ही महत्व देना । समाज को अनुशासित कार्यक्रम करना सिखाना ।
११. समय की कीमत समझना और व्यर्थ समय न गवां कर उसका सही उपयोग करना ।
मैं समझता हूं वर्तमान में इन गुणों की आवश्यकता सभी साधुओं और विद्वानों को है । आज समाज के कितने कार्यक्रम सिर्फ समय खराब करने वाले होते हैं ,सम्मान और माला अधिकांश समय खा जाते हैं , कोई अनुशासन भी दिखाई नहीं देता, मंच अनावश्यक भीड़ से भर जाते हैं । इस प्रकार की अनेक अनावश्यक गतिविधियों ने हमारे धार्मिक कार्यक्रमों की गरिमा को कमजोर ही किया है । हम बुरी तरह धार्मिक मनोरंजन वाद के शिकार हैं इसीलिए कई बार कार्यक्रमों में लाखों खर्च करके भी अंत में सारहीन से खड़े रहते हैं ।
मुझे लगता है हमें आचार्य श्री एवं उनके जीवन से ये ११ शिक्षाएं अवश्य ग्रहण करनी चाहिए ताकि हम अपनी गरिमा और गौरव बरकरार रख सकें । यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।