अखिल भारतवर्षीय धर्म जागृति संस्थान प्रांत राजस्थान के प्रतिनिधिमंडल का सोमवार को गुड़गांव हरियाणा में परम पूज्य आचार्य श्री १०८ वसुनंदी महाराज से वर्तमान में उत्पन्न हो रहे ज्वलंत सामाजिक समस्याओं पर व्यापक चर्चा हुई। वार्ता के दौरान आचार्य श्री ने बताया कि छोटे परिवार, विजातीय विवाह आदि के कारण आज जैन धर्म के अनुयाइयों की संख्या निरंतर घट रही है। यह आने वाले समय के लिए एक विचारणीय मुद्दा है।
धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या के अनुसार प्रतिनिधि मण्डल में संस्थान के प्रांतीय अध्यक्ष पदम जैन बिलाला के साथ संरक्षक ज्ञान चंद जैन बस्सी वाले , कोषाध्यक्ष पंकज जैन लुहाड़िया आदि के अलावा स्थानीय सदस्य उपस्थित रहे ।आचार्य श्री वसुनंदी महाराज ने कहा कि जनसंख्या विभाग के आंकड़ों व वास्तव में जैन जनसंख्या में बहुत अंतर है , जिसका मुख्य कारण नाम के आगे अधिकतर लोगों का जैन शब्द का प्रयोग न होकर गोत्र शब्द का प्रयोग होना तथा जनगणना के दौरान धर्म के कालम में जैन नहीं लिखा जाना है । अब होने वाली जातिगत जनगणना में हमें अपने धर्म के कॉलम में जैन ही लिखना है ।
चिंता व्यक्त करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में जैन बच्चों की इंटर कास्ट मैरिज की बढ़ती हुई संख्या भी बहुत विकराल समस्या बनती जा रही है। आज यह संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसका समाधान ढूंढना समाज की जिम्मेदारी बनती है। गुरुदेव ने साथ ही बताया कि आज की जनरेशन जिस तरह से दो से अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहती बल्कि आज देखा जा रहा है कि यह संख्या एक और कई जगह पर तो ना के बराबर है गुरुदेव ने कहा कि यह समस्या जैन धर्म के लिए बड़ी जटिल समस्या है इससे जैन धर्म धीरे-धीरे लुप्त होने की कगार पर है जिसे हमें रोकना बेहद जरूरी है |
आज एक या दो संतान होने से उनकी परवरिश तो अच्छी होती है लेकिन संस्कार नहीं मिलने के कारण वह या तो विदेशों में चले जाते हैं या फिर किसी गलत राह में भटक जाते हैं जिससे कि बुजुर्ग माता-पिता अकेले रह जाते हैं जिन्हें वृद्ध आश्रम में रहना पड़ता है या फिर अपना अंतिम समय बहुत ही कठिनाई से गुजरना पड़ता है।
उक्त सभी गंभीर समस्याओं को लेकर गुरुदेव ने प्रतिनिधि मण्डल से चर्चा की, व्यापक रूप से अन्य सभी जैन संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर जागरूकता अभियान चला कर सामाजिक समस्याओं के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित कर समाधान ढूंढना वर्तमान की आवश्यकता है।