जैन संस्कृत विद्यालय में हुआ आयोजन
मुरैना (मनोज जैन नायक) दिगम्बराचार्य सुमतिसागरजी महाराज के समाधि दिवस पर विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया ।
उत्तर भारत के प्रथम दिगम्बराचार्य शांतिसागर जी महाराज छाणी की परम्परा के चतुर्थ पट्टाचार्य मासोपवासी श्री सुमतिसागरजी महाराज के समाधि स्मृति दिवस के अवसर पद श्री गोपाल दिगम्बर जैन संस्कृत विद्यालय मुरैना में विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया । विनयांजलि सभा के शुभारंभ में विद्यालय के छात्र महावीर जैन एवं अभिषेक जैन ने मंगलाचरण किया । सभा के प्रारंभ में जैन संस्कृत विद्यालय के उपाध्यक्ष प्रेमचंद जैन, महामंत्री सुनील भंडारी, सह कोषाध्यक्ष राजकुमार जैन राजू, वैद्यजी राजेंद्रप्रसाद जैन, राकेश जैन, डॉ. मनोज जैन, सतीश जैन ने आचार्यश्री सुमतिसागरजी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलित किया ।
संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य पंडित चक्रेश शास्त्री ने सभा का संचालन करते हुए आचार्यश्री के संस्मरण सुनाते हुए उपस्थित बंधुओं एवं विद्यालय के छात्रों को आचार्य सुमतिसागरजी के व्यक्तित्व से परिचित कराया ।
वरिष्ठ समाजसेवी अनूप भंडारी ने आचार्यश्री सुमतिसागरजी महाराज के श्री चरणों में विनयांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरुदेव विराट व्यक्तित्व के धनी थे । पूज्य गुरुदेव का जन्म मुरैना जिले के श्यामपुर ग्राम में 20 अक्टूबर 1917 को हुआ था । आपका गृहस्थ अवस्था का नाम नत्थीलाल जैन था । आपने संवत 2010 में निमित्तज्ञानी आचार्यश्री विमलसागरजी महाराज को आहार देते समय शूद्र जल का त्याग किया और आपके अंदर वैराग्य के बीज अंकुरित हुए । आपने 11 अप्रैल 1968 को क्षुल्लक दीक्षा स्वीकार हर संयम पथ पर कदम बढ़ाया । आपने अगहन वादी 12 वीर निर्वाण संबंत 2025 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज (भिंड वाले) से जैनेश्वरी मुनि दीक्षा ग्रहण की थी । आपका नामकरण हुआ मुनिश्री सुमति सागर जी महाराज । सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी 3अक्टूबर 1994 को इस नश्वर शरीर का त्याग कर समाधि मरण को प्राप्त किया ।
आपने अपने दीक्षा काल में सैकड़ों श्रावकों श्राविकाओं को मुनि आर्यिका दीक्षाएं देकर संयम पथ की ओर अग्रसर किया । आपके द्वारा दीक्षित सिंहरथ प्रवर्तक, त्रिलोकतीर्थ प्रणेता विद्याभूषण सन्मतिसागरजी महाराज एवं सराकोद्धारक आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने छाणी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश और दुनिया में जैन धर्म के सिद्धांतों, अहिंसा, शाकाहार, जीव दया एवं जियो और जीने दो का प्रचार प्रसार किया । वर्तमान में छाणी परंपरा के सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज धर्म प्रभावना कर रहे हैं। अन्य वक्ताओं ने भी विनयांजलि देते हुए पूज्य श्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला ।
इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्यों के लिए छात्र महावीर जैन, अभिषेक जैन, यश जैन एवं रितिक जैन का बहुमान किया गया ।
विनयांजलि सभा में विद्वत संदीप जैन, गुलशन जैन, पंकज जैन मेडिकल, हरिशचंद जैन, रवि जैन, राजीव जैन टीटू, निर्मल जैन भंडारी, राजेंद्र जैन दयेरी, अनिल जैन, शैलू जैन सहित जैन संस्कृत विद्यालय के छात्र उपस्थित थे । सभा के समापन पर प्राचार्य पंडित चक्रेश शास्त्री द्वारा आभार व्यक्त किया गया ।