जयपुर – जनकपूरी – ज्योतिनगर जैन मंदिर अक्षय तृतीया के पावन दिन जयपुर का एक मात्र स्थान रहा जहाँ मुनि संघ का भक्तों को पावन सानिध्य मिला,प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला अनुसार 10-5-2024 शुक्रवार को अक्षय तृतीया को पारणा व दान पर्व के साथ आचार्य श्री १०८ शशांक सागर जी का अवतरण दिवस व संघ का पिच्छिका परिवर्तन समारोह भक्ति भाव के साथ मनाया गया ,इस दिन प्रातः अभिषेक शांति धारा से समारोह शुरू हुआ जो मंगल आरती व उपस्थित जनों को इक्षु रस वितरण के साथ समाप्त हुआ इस बीच भक्ति व संगीत के साथ पूजन पाद प्रक्षालन , शास्त्र भेंट , आशीर्वचन , पिच्छिका परिवर्तन व अतिथि सम्मान आदि हुआ । इधर भक्त जनों ने संघ का पड़गाहन कर को इक्षु रस का आहार दिया समारोह के सोभाग्यशाली परिवार प्रातः बीजाक्षर युक्त विश्व शांति कारक शान्तिधारा करने का सोभाग्य पदम पारस पहुप जैन बिलाला परिवार को – आचार्य श्री शशांक सागर जी के पाद प्रक्षालन एवम् उनको नई पीच्छिका देने व पुरानी लेने का सौभाग्य बाबूलाल, राजीव, मयंक जैन लेवाली वाले परिवार को प्राप्त हुआ,संघ को शास्त्र भेंट करने का पुण्य लाभ बसंत कुमार- बीना देवी जैन गायत्री नगर परिवार को – तथा संघस्थ मुनि श्री संदेश सागर जी को नई पीच्छिका देने व पुरानी लेने का सौभाग्य अजय कुमार ,शकुंतला जैन, लवकुश नगर परिवार को प्राप्त हुआ, कार्यक्रम में अक्षय तृतीया व गुरु पूजन भक्ति के साथ झूमते हुए साज बाज के साथ ब्र० डा० चंद्र प्रभा जैन , प० रोहित शास्त्री सांगानेर संस्थान व युवा गायक जितु गंगवाल प्रताप नगर द्वारा संपन्न करायी गई तथा पूर्व व वर्तमान आचार्यों के अर्घ समर्पित किए गए ।आचार्य श्री ने अक्षय तृतीया को बताया दान पर्व आचार्य श्री ने अक्षय तृतीया के बारे में समझाते हुए कहा की भगवान आदिनाथ ने सबसे पहले समाज में दान के महत्व को समझाया था और दान की शुरुआत की थी.। भगवान आदिनाथ राज-पाट् का त्याग करके वन में तपस्या करने निकल गए थे. उन्होंने वहां 6 महीने तक लगातार ध्यान किया था. 6 महीने बाद जब उन्होंने सोचा कि इस समाज को दान के बारे में समझाना चाहिए तो वे ध्यान से उठकर आहार मुद्रा धारण करके नगर की ओर निकल पड़े थे.।जैन धर्म में अक्षय तृतीया के दिन लोग आहार दान, ज्ञान दान, औषाधि दान या फिर मंदिरों में दान करते हैं. जैन धर्म की मान्यता है कि भगवान आदिनाथ ने इस दुनिया को असि-मसि-कृषि वाणिज्य व शिल्प के बारे में बताया था. इसे आसान भाषा में समझें तो असि यानि तलवार चलाना, मसि यानि स्याही से लिखना, कृषि यानी खेती करना होता है. भगवान आदिनाथ ने ही लोगों को इन विद्याओं के बारे में समझाया और लोगों को जीवन यापन के लिए इन्हें सीखने का उपदेश दिया था. आचार्य श्री ने अंत में कहा कि वास्तव में तो मेरा अवतरण दिगंबर मुद्रा धारण करने के दिन हुआ है । इसके साथ ही आचार्य श्री ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया , कार्यक्रम में दिगंबर जैन महासभा राजस्थान के अध्यक्ष कमल बाबू जैन ,युवा महासभा के अध्यक्ष प्रदीप लाला राजस्थान जैन सभा के मंत्री विनोद जैन कोटखावदा व जितेंद्र गंगवाल , गायत्री नगर मन्दिर अध्यक्ष कैलाश छाबड़ा व मंत्री राजेश जैन , प्रताप नगर मुनि भक्त महेश सेठी , डीसीएम समाज के श्रेष्ठी प्रमेश जैन व राजीव पाटोदी , पदमपुरा कमेटी उपाध्यक्ष सुरेश काला , श्रीमती सुशील जैन लालकोठी , वरिष्ठ पत्रकार वी बी जैन , सम्यक् ग्रुप के डा० इंद्र कुमार ,महावीर बोहरा , राजेश बडजात्या , निर्मल संघी , धर्म जागृति संस्थान के ज्ञान चंद जैन , राजेश गंगवाल ,अनिल जैन आईपीएस, महेश काला , सोभाग अजमेरा , जैन बैंकर्स फोरम के प्रदीप लाला , प्रकाश गंगवाल , देवेंद्र कासलीवाल , राजेंद्र ठोलिया , ललित गोधा , दिगंबर जैन महिला समिति राजस्थान अंचल अध्यक्षा शकुंतला बिंदायक्यI , बरकतनगर से प्रमोद भँवर , सहित महेश नगर , कीर्तिनगर मधुबन आदि स्थानों के श्रद्धालुओं की महत्ती सहभागिता रही।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान