ज्ञानतीर्थ सहित सभी जैन मंदिरों में होगें विभिन्न आयोजन
मुरैना (मनोज जैन नायक) जैन संत दिगंबराचार्य ज्ञानसागर महाराज का अवतरण दिवस विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के साथ 01 मई को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाएगा ।
ज्ञानतीर्थ महा आराधक परिवार के जिनेश जैन कालू ने जानकारी देते हुए बताया कि सराकों के मसीहा, सराकों के राम, आचार्यश्री शांतिसागर महाराज छाणी परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का 69वें अवतरण दिवस पर ज्ञानतीर्थ क्षेत्र, बड़ा जैन मंदिर एवं नसियां जी जिनालयों में विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जायेगे । आचार्यश्री ज्ञानसागर भक्त परिवार के सभी सदस्यों ने एकमत होकर सकल जैन समाज मुरैना के सहयोग से पूज्य गुरुदेव का अवतरण दिवस शाकाहार, जीवदया, प्रसादी वितरण के रूप में मनाने का संकल्प लिया है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस पावन अवसर पर गुरुवार 01 मई को जिनालयों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी । प्रातःकालीन वेला में श्री जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन के पश्चात समाधिस्थ आचार्य ज्ञानसागर की अष्टदृव्य से पूजन की जाएगी । गुरुभक्तों द्वारा आचार्य ज्ञानसागर के चरणों पर जलाभिषेक किया जायेगा । प्रातःकालीन वेला में बड़े जैन मंदिर मुरैना के मुख्य द्वार पर स्टॉल लगाकर आमजन को प्रसादी एवं मीठा शीतल पेय वितरित किया जाएगा । समाज के श्रेष्ठियों द्वारा आचार्यश्री के चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन पश्चात पूज्य गुरुदेव की महा आरती की जाएगी ।
मीडिया प्रभारी मनोज जैन नायक मुरैना ने जानकारी देते हुए बताया कि मुरैना नगर के दिगंबर जैसवाल जैन उपरोचियां परिवार के बजाज गोत्रिय शांतिलाल अशर्फी देवी जैन के यहां 01 मई 1957 को बालक उमेश का जन्म हुआ था । बालक उमेश बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के होकर जिनेंद्र प्रभु की भक्ति एवं जैन साधुओं के आहार बिहार एवं वैयावृत्ति में लीन रहते थे । यही कारण था कि उन्होंने मात्र 18 वर्ष की उम्र में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लेकर घर का त्याग कर दिया । मासोपवासी आचार्य श्री सुमतिसागर महाराज से क्षुल्लक दीक्षा के पश्चात भगवान महावीर स्वामी जन्मकल्याणक के पावन पर्व पर 31 मार्च 1988 को श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में दिगंबरत्व का व्रत लेकर मुनि दीक्षा ग्रहण की । आप अपने तपोबल, शास्त्र अध्ययन, संयम चर्या एवं ज्ञान के फलस्वरूप उपाध्याय पद पर आसीन रहे । सिंहरथ प्रवर्तक, त्रिलोकतीर्थ धाम प्रणेता पंचम पट्टाचार्य विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज की समाधि के पश्चात आचार्य ज्ञानसागर को छाणी परम्परा का षष्ट पट्टाचार्य पद से विभूषित किया गया । भगवान महावीर स्वामी मोक्ष कल्याणक के पावन दिवस 15 नवंबर 2020 को राजस्थान के अतिशय क्षेत्र बारां में पूज्य गुरुदेव ने इस नश्वर देह का त्याग कर मोक्षगामी हो गए ।
आचार्यश्री ज्ञानसागर ने तपोबल की उत्कृष्टता को प्राप्त किया
आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज ने 18 वर्ष की उम्र से ही संयम के मार्ग को स्वीकार किया । आपके स्वाध्याय, तप, संयम की आराधना को देखते हुए आपके दीक्षा गुरु आचार्य सुमति सागर जी महाराज ने आपको उपाध्याय पद से सुशोभित किया । आपने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में सत्य, अहिंसा, शाकाहार , जीवदया का उपदेश देकर अपनी संयम की चर्या से संतों के मध्य एक उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया । आपके प्रति जैन ही नहीं बल्कि अन्य समुदाय के लोग भी देवतुल्य श्रद्धाभाव रखते थे ।
अनेकों मंदिरों, धर्मशालाओं, चिकित्सालयों का कराया निर्माण
सराकोद्धारक समाधिस्थ आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज ने सम्पूर्ण भारतवर्ष में पद विहार करते हुए अपने उपदेशों के माध्यम से अनेकों नवीन जिनालयों, धर्मशालाओं, चिकित्सालयों के निर्माण हेतु जनमानस को प्रेरित किया । आपकी प्रेरणा एवं आशीर्वाद से ही मुरैना नगर में ए बी रोड (धौलपुर आगरा हाइवे) पर एक विशाल एवं भव्य ज्ञानतीर्थ क्षेत्र जिनालय का निर्माण हुआ है । विभिन्न स्थानों पर अनेकों प्राचीन तीर्थक्षेत्रों का जीर्णोधार भी आपकी प्रेरणा का ही सुफल रहा है ।