भीलवाड़ा, 8 नवंबर – विद्यासागर वाटिका में श्रुत संवेगी मुनीश्री आदित्य सागर महाराज, मुनिश्री अप्रमित सागर जी महाराज एवं मुनि श्री सहज सागर महाराज की पिछी परिवर्तन समारोह में उत्साह पूर्वक के साथ किया गया। जयकारा से सारा वातावरण गूंज उठा।
श्रेष्ठीपरिवारजनों द्वारा मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज, मुनि श्री अप्रमित सागर जी महाराज, एवं मुनिश्री सहज सागरजी महाराज को नई पिछी प्रदान कर अनुमोदन की गई। शिष्य आनंदित एवं उत्साहित हुए। भक्तगण भक्ति गीतों में झूम उठे। इस दृश्य को हजारों की संख्या में आए महिला, पुरुष, एवं युवा देखकर भाव विभोर हुए।
इसी क्रम में मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज की पुरानी पिछी अमित शाह, मुनिश्रीअप्रमित सागर महाराज की पुरानी पिछी विपिन सेठी एवं मुनिश्री सहज सागर जी महाराज की पुरानी पिछी निरंजन शाह को लेने का सौभाग्य मिला। परिवारजन पुरानी पिछी को प्राप्त कर आनंदित हुए। खुशी से नाचते हुए मुनि श्री के उपकार को इस तरह बयां किया। इस अवसर पर मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज एवं मुनि श्री अप्रमित सागर जी महाराज की 12वी दीक्षा जयंती गुरु-पूजन नाचते-गाते भक्ति के साथ अर्ग समर्पण किये।
इस अवसर पर श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर महाराज द्वारा लिखित 50-60 पुस्तकों का पुणयार्जक परिवारजनों द्वारा विमोचन किया गया। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट आरके कॉलोनी की ओर से महेंद्र सेठी को समाज का गौरव से विभूषित कर मोमेंटो तो देकर सम्मानित किया।
इस दौरान मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ने विशाल समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य गुरुदेव श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के हम पर किए गए उपकार कर मोक्ष मार्ग की ओर ले जाने का मार्ग दिया। उनके वात्सल्य हमारे ऊपर सदैव रहा। किस्मत को बनाए रखना अंदर की कला है। जो सीखा है, जो लिखा है, जो शब्द, चिंतन, जीवन हमें उन्होंने दिया है। गुरु शिष्य की आत्मा को सुधारते हैं, हर सांस में गुरु होते हैं। मुनिश्री ने कहा कि भीलवाड़ा में हुए चातुर्मास में मन, वचन, काय से किसी का दिल दुखाया हो इच्छामि दुखणम। गुरुदेव को नमोस्तु करते हुए मुनीपथ द्वारा निर्वाण मार्ग प्रशस्त हो ऐसी मंगल भावना भाई।
ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश गोधा ने चातुर्मास के दौरान मन, वचन, काय से हमसे कोई गलती हुई हो उसके लिए मुनीससंघ से क्षमा याचना की। आपका उपकार को भीलवाड़ा का समाज कभी नहीं भूल पाएगा।
समारोह का संचालन महेंद्र सेठी एवं सुरेश गदिया ने किया।