आचार्य चरक प्रणीत चिकित्सकीय — शपथ –विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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वर्तमान में चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की  की हैं जिस कारण मनुष्य की जीवन आयु बढ़ गयी और आर्थिक सम्पन्नता ने भी इसमें बहुत योगदान दिया .आधुनिक चिकित्सा पद्धति का मानव और पशुओं के इलाज़ से करोड़ों से अधिक लोगों को मौत के मुंह से बचाया और आधुनिक शल्य चिकित्सा ने तो  नयी नयी तकनीकों से असाध्य बिमारियों की चिकित्सा  में अद्वितीय योगदान दिया .जो कार्य पूर्व में असंभव माने जाते थे आज सामान्य हो चुके .हृदय सम्बन्धी ,जोड़ों सम्बन्धी रोगों की चिकित्सा आज सामान्य मानी जानी लगी हैं .औषधि शास्त्र में नए नए एंटीबॉयटिक्स ,अनलजेसिक्स ,कर्टिकॉस्टरॉइड ने जहाँ तत्काल आराम दिया वही इनके अधिक उपयोग से नए नए रोग भी पैदा हुए ,आज एंटीबॉयटिक्स से चिकित्सक और जनसामान्य उपयोग करने से घबड़ाने लगे हैं .आयुर्वेद चिकित्सा बहुत सीमा तक निरापद मानी जाती हैं .
निःसंदेह आयुर्वेद निरापद चिकित्सा पद्धत्ति हैं जिसके  लिए किसी  से प्रमाण  पत्र लेने कि जरुरत नहीं हैं .यह प्रयास बहुत उत्तम हैं इस शपथ का पालन करना अनिवार्य और आवश्यक होना चाहिए .शपथ में नहीं कार्य क्षेत्र में.
चिकित्सा के चार पाद होते हैं –
भिषग्दृध्यान्युपस्थाता रोगी पाद्चादुष्टयम   .गुणवत कारणं ज्ञेयं विकारविउपशान्तये .(चरकसूत्रस्थान ९/३ )
1 गुणवान वैद्य  २ गुणवान द्रव्य (औषधि ) ३ गुणवान उपस्थाता(नर्सिंग स्टाफ ) ४ गुणवान रोगी
चिकित्सक के  गुण —
श्रुते पर्यवादाततव्म  बहुशो दृष्टकर्मता .दाक्ष्यं शौचमिति ज्ञेयं वैधे गुणचतुष्टयम .(चरक सूत्रस्थान ९/६ )
१ शास्त्र का अच्छी प्रकार का ज्ञान रखना २ अनेक बार रोगी ,औषध-निर्माण तथा औषध प्रयोग क प्रत्यक्ष-द्रष्टा होना ३ दक्ष होना अर्थात समय के अनुसार तुकति की कल्पना करने में चतुर होना ४ पवित्रता रखना यह चारों ,वैद्य के उत्तम गुण माने जाते हैं .डॉक्टर बनने के लिए दो प्रकार की शपथ दिलाई जाती है ।
इसमें पहली शपथ है :
चरक संहिता की शपथ : चरक संहिता की शपथ भारतीय सभ्यता के अन्तर्गत कराई जाती है । इस शपथ में मूल रूप से आचार , विचार और सामाजिक विचारों को महत्व दिया जाता है , इन चीजों को केंद्र में रखा जाता है । स्वस्थ जीवन के लिए चरक संहिता में उपाय है कि बारिश , गर्मी और सर्दी में भोजन की मात्रा , भोजन के प्रकार इत्यादि में बदलाव कर के स्वस्थ रहा जा सकता है ।
दूसरी शपथ :
हिप्पोक्रेटिक शपथ : हिप्पोक्रेटिक शपथ पश्चिमि सभ्यता के अन्तर्गत कराई जाती है । अब बात करें इस शपथ के बारे में तो शपथ में मरीज के स्वास्थ्य पर बल देने की बात कही जाती है ।
चरक संहिता के मुख्य बिंदु :
चरक संहिता को ना सिर्फ भारतीय सभ्यता में अपितु पश्चिमी सभ्यता में भी सर्वश्रेष्ठ मना गया है ।
प्राचीन काल में ही ऋषियों , मुनियों ने पर संबंधित बीमारियों को जाना , उपचार के उपाय भी खोजें । अब ये बात तो लगभग सभी जानते ही हैं कि शरीर की 90% बीमारी की मुख्य वजह पर होती है । हमारे ऋषि मुनि यह बात पहले से ही जानते थे अतः उन्होंने इनके उपचार भी खोज लिए थे ।
अब चलते हैं कृष्ण मुरारी के समय में तो महाभारत के काल में अभिमन्यु को गर्भ में ही संस्कार मिले थे । चरक संहिता में मान्यता है कि एक शिशु का ज्ञान गर्भ से ही प्रारम्भ हो जाता है ।
दोनों शपथों का मुख्य उद्देश्य समाज की भलाई और रोगों का उपचार ही है । दोनों का केंद्र विषय रोगियों का बेहतर से बेहतर चिकित्सा  ही है ।
इसके अलावा चिकित्सीय कार्य करने के पूर्व ,पंजीकृत होना चाहिए . पंजीकरण संख्या प्रदर्शित करना चाहिए । पंजीकरण के बाद, राज्य चिकित्सा काउंसिल डॉक्टर को एक पंजीकरण संख्या देती है। इसे रोगियों को दिए गए सभी पर्चे, प्रमाण पत्र, धन प्राप्ति में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
दवाओं के जेनेरिक नामों का उपयोग। किसी दवा का जेनेरिक नाम निर्दिष्ट ब्रांड नाम के बजाए उसके रासायनिक नाम या ड्रग के रासायनिक संरचना को संदर्भित करता है।
रोगी की देखभाल में उच्चतम गुणवत्ता का आश्वासन। आगे के डॉक्टरों को निम्नलिखित चीज़ें करनी चाहिए:
जिनके पास उचित शिक्षा नहीं है या जिनके पास उचित नैतिक चरित्र नहीं है उन लोगों को इस पेशे में दाखिल नहीं होने देना चाहिए।
किसी ऐसे पेशेवर अभ्यास के लिए नियुक्त न करें, जो किसी भी चिकित्सा कानून के तहत पंजीकृत या सूचीबद्ध नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि कोई डॉक्टर एक नर्स को काम पर रख रहा है, तो यह कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो पंजीकृत नर्स है, जो अभ्यास करने के योग्य है।
पेशे के अन्य सदस्यों के अनैतिक आचरण को उजागर करना।
डॉक्टरों को सेवा देने से पहले अपनी फीस की घोषणा करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, एक डॉक्टर के व्यक्तिगत वित्तीय हितों को रोगी के चिकित्सा हितों के साथ संघर्ष नहीं करना चाहिए।
देश के कानूनों का गलत इस्तेमाल नहीं करना और दूसरों को भी इसका लाभ उठाने में मदद नहीं करना।
मरीजों के प्रति कर्तव्य
हालांकि एक डॉक्टर उनके पास आने वाले हर मरीज का इलाज करने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन उन्हें हमेशा किसी बीमार और घायल के कॉल का जवाब देने के लिए तत्पर रहना चाहिए। एक डॉक्टर मरीज को किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाने की सलाह दे सकता है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में उन्हें मरीजों का इलाज कर देना चाहिए। किसी भी डॉक्टर को मरीजों को इलाज से इनकार मनमानी तरीके से नहीं करनी चाहिए।
एक डॉक्टर को धैर्यवान और सहज होना चाहिए, और हर एक मरीज की गोपनीयता का सम्मान करना चाहिए। मरीज की स्थिति की बताते समय, डॉक्टर को न तो मरीज की स्थिति की गंभीरता को कम करना चाहिए, और न ही उसे बढ़ा-चढ़ा कर बताना चाहिए।
उसके द्वारा किसी भी मरीज को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। एक बार जब डॉक्टर किसी मरीज़ का इलाज शुरू कर देता है, तो उसे मरीज की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, और मरीज और मरीज के परिवार को पर्याप्त सूचना दिए बिना इलाज से पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टरों को जानबूझकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए, जिसके चलते कोई मरीज आवश्यक चिकित्सीय देखभाल से वंचित हो जाय।
यदि आपका डॉक्टर इनमें से किसी भी या इन सभी कर्तव्यों में विफल रहा है, तो आप उनके खिलाफ उचित फोरम में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
एक डॉक्टर का सबसे बड़ा और पहला शीर्ष गुण यही होना चाहिए कि वह सब तो सबसे पहले अपने मरीज को देखकर उसके मनोभावों को समझ सके और उसको यह विश्वास दिला सके कि आपकी जो भी बीमारी है वह उसको ठीक कर देगा। अन्य गुण यह होना चाहिए कि डॉक्टर अपने मरीज के साथ मित्रवत व्यवहार करें
हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है, इसलिए इतना बड़ा दर्जा पाने के साथ ही किसी भी डॉक्टर की जिम्मेदारियां बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती हैं, इसलिए एक डॉक्टर में निम्नलिखित शीर्ष गुण होने चाहिएँ
अन्य गुण यह होना चाहिए कि डॉक्टर अपने मरीज के साथ मित्रवत व्यवहार करें। एक डॉक्टर को अपने मरीज के साथ ईमानदार होना चाहिए कोई भी बात उसे छिपाने नहीं चाहिए।
एक सच्चे डॉक्टर को अपनी जिम्मेदारी पूरी कर्तव्य निष्ठा के साथ उठानी चाहिए और उसे कभी भी पैसे की लालच नहीं होना चाहिए। एक डॉक्टर को कभी पैसे का लालच मे अपने मरीज से धोखा नहीं करना चाहिए, उसे अपनी पूरी ईमानदारी के साथ लोगों की सेवा करना चाहिएँ।वर्तमान में इन शपथों का निर्वहन में कमी आयी हैं तो चिंतन की जरुरत हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३

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