उपाध्याय रविन्द्र मुनि ने भेंट की नवीन पिच्छी
छाणी परंपरा के पंचम पट्टाचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के मंगल चातुर्मास हेतु भव्य कलश स्थापना समारोह का ऐतिहासिक आयोजन दिनांक 4 अगस्त 2024 को व्यापक धर्मप्रभावना के साथ श्री महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर, अशोक विहार फेज़-1 के समीप महाराजा अग्रसेन भवन के प्रांगण में सानंद संपन्न हुआ| समाज के सौभाग्यशाली महानुभावों द्वारा ध्वजारोहण, मंगलाचरण, चित्र अनावरण, जिनवाणी विराजमान, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट व पाद-प्रक्षालन आदि समस्त मांगलिक क्रियाएं डॉ. श्रेयांस कुमार जैन (बड़ौत) व पं. नरेश कुमार जैन कांसल (हस्तिनापुर) के निर्देशन में संपन्न हुईं|
कार्यक्रम के मध्य समाज की महिलाओं व बालिकाओं ने अनेकों प्रेरक व मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिन्हें उपस्थित जनसमूह ने करतल ध्वनि से खूब सराहा| गुरुभक्तों द्वारा आचार्य श्री की अष्ट-द्रव्य के सुसज्जित थाल द्वारा विशेष पूजन किया गया| चातुर्मास मुख्य कलश स्थापित करने का परम सौभाग्य श्री प्रमोद जैन सपरिवार ‘महावीरा’, श्री सुभाष जैन सपरिवार तथा श्री प्रभुदयाल जैन सपरिवार को प्राप्त हुआ। अन्य सौभाग्यशाली महानुभावों ने विशेष चातुर्मास कलश स्थापित कर पुण्यार्जन किया।
इस अवसर पर आचार्य श्री द्वारा पिच्छिका परिवर्तन भी किया गया। जैन समाज के इतिहास में संभवतः यह प्रथम अवसर था जब श्वेताम्बर संत ने दिगम्बर मुनिराज के कर-कमलों में संयम का उपकरण भेंट किया। मंच पर विराजमान श्रमण संघीय उपाध्याय रत्न श्री रविन्द्र मुनि जी म.सा. ने नजफगढ़ जैन समाज से नवीन पिच्छी प्राप्त कर विनयपूर्वक पूज्य आचार्य श्री के कर-कमलों में भेंट की। जैन एकता और संगठन को मजबूत करते हुए यह दृश्य बहुत ही सुखद थे। आचार्य श्री की पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य श्री शासन कुमार जैन सपरिवार (प्रशांत विहार) को मिला।
विशाल धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पूज्य आचार्य श्री के कहा कि चातुर्मास बाह्य यात्रा को विराम देकर अंतरंग की यात्रा को गति प्रदान करने का स्वर्णिम अवसर होता है। चातुर्मास का अवसर जीवन को सन्मार्ग की ओर ले जाने का माध्यम है। उपाध्याय श्री रविन्द्र मुनि जी ने कहा कि चातुर्मास का समय श्रमण और श्रावक, दोनों के लिए उपयोगी होता है। संत तो अपनी चर्या समयानुसार करते ही रहेंगे परन्तु श्रावकों को भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए घर से निकल संत की चरण-सन्निधि में आना होगा। आचार्य श्री की विलक्षण सोच व उदारवादी विचारधारा की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उपाध्याय श्री ने इस संयुक्त चातुर्मास को समस्त क्षेत्र के लिए मंगल अवसर बताया।
श्री जम्बू प्रसाद जैन (राष्ट्रीय अध्यक्ष – तीर्थक्षेत्र कमेटी), श्री चक्रेश जैन (अध्यक्ष – जैन समाज दिल्ली), डॉ. सुधीर जैन (न्यायाधीश – दिल्ली हाईकोर्ट), श्री सचिन जैन (IRS), श्री सौरभ जैन (IRS), श्री प्रमोद जैन (वर्धमान) आदि गणमान्य महानुभाव ने पधारकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। श्री स्वदेश भूषण जैन (पंजाब केसरी) ने अपने उद्बोधन में समाज को चातुर्मास के आयोजन हेतु बहुत शुभकामनाएं प्रेषित की। इस भव्य समारोह में राजधानी दिल्ली की विभिन्न कालोनियों के साथ-साथ गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, सोनीपत, गन्नौर, बागपत, बड़ौत, खेकड़ा, तिजारा, रेवाड़ी, गुरुग्राम, मेरठ आदि जगह-जगह से पधारे हजारों मुनिभक्तों ने आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल अर्पित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया|