नैनवा जिला बूंदी 24 सितंबर मंगलवार को प्रातः 8:30 पर जैन मुनि श्रुतेशसागर सागर महाराज के परम सानिध्य में आचार्य विमल सागर महाराज की सभी भक्तों ने पूजन की
सलूंबर से आए क्रांति लाल जी जैन परिवार का स्वागत सम्मान वर्षा योग समिति के सभी पदाधिकारी ने किया किया
मुनि श्री के जीवन पर महावीर सरावगी के द्वारा उनके जीवन के बारे में उनकी तप साधना के बारे में उनके आहार विधि के बारे में उनकी दीक्षा के बारे में बहुत कुछ अपार भक्तों को संबोधित में बताया
तप साधना में लिन
मुनिराज विमल सागर जी थे जिन्होंने संपूर्ण राजस्थान एमपी यूपी और साउथ में भी जैन धर्म के प्रभावना की थी
आचार्य विमल सागर अल्प आयु में ही धर्म में समर्पित हुए थे
जैन मुनि श्रुतेशसागर सागर महाराज ने बताया
अल्पायु में ही माता-पिता का निधन होने से आपको वैराग्य प्राप्त हुआ 11 वर्ष की आयु में मुरैना विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की संसार के सुखों को छोड़कर आप मोक्ष मार्ग पर बढ़ गए
आपने सभी जीवों की रक्षा करना प्राणी मात्र पर दया करना मन वचन काय से किसी को कष्ट न पहुंचना
आपने धर्म बताया
आप भयंकर सर्दी में भी बिना घास के सयन करते थे बिना चटाई आप भूमि पर बैठते थे
दूध दही बुरा घी तेल आदि के आप त्यागी थे
आपने शत उपदेश में बताया कि संसार के प्राणी मात्र स्वार्थ के पीछे टिके हुए हैं जिस दिन मनुष्य का स्वार्थ खत्म हो जाएगा उसी दिन मनुष्य अपने रिश्ते समाप्त कर लेता है
स्वार्थी ही मनुष्य का सबसे बडी धर्म मार्ग में बाधा है इस कारण ही मनुष्य धर्म कार्य में न जुड़कर सांसारिक भोगों में जुड़ा हुआ है ऐसा मुनि ने संबोधन में बताया
गुणवान ज्ञान वान की ही जन्म जयंती मनाई जाती है
क्षुल्लक सुप्रकाश जी महाराज ने बताया आचार्य विमल सागर जी महाराज की अवतरण दिवस पर उन्होंने बताया की महापुरुषों की जयंती जीवन में सुखदाई है
संसारी भोगों की जयंती मनाने पर कोई लाभ प्राप्त नहीं होता
मुनिराज महात्मा की जयंती पर प्रकाश डालते हैं तो लोगों को मालूम होता है कि उनकी जयंती इसलिए मनाई जा रही है कि उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत अच्छे कार्य किए थे
धर्म के सत उपदेश देकर संसार के प्राणी मात्र का कल्याण आपने किया था
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर कुमार सरावगी
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