आचार्यश्री विमर्शसागर मुनिराज का 53बां जन्मोत्सव भव्यता से मनाया
सोनल जैन “विमर्श रत्न” उपाधि से सम्मानित
मुरैना (मनोज जैन नायक) भारतीय वसुंधरा के सम्पूर्ण गुरु भक्तों ने धर्मनगरी शामली में उपस्थित होकर अपने परम आराध्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य गुरुवर श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज का 53 वा “विमर्श उत्सव” जन्म जयन्ती महोत्सव गुरुवर की चरण आराधना करके मनाया ।
इस स्वर्णिम अवसर के साथ ही मणि-कांचन संयोग की भाँति विगत वर्ष दीक्षित आर्यिका श्री 105 विमर्शिता श्री माताजी सहित 13 संयमियों का प्रथम दीक्षा दिवस भी सभी गुरु भक्तों ने हर्षोल्साह के साथ मनाया।
आचार्य गुरुवर विमर्शसागर जी महामुनिराज का जन्मोत्सव सभी शिष्य समुदाय के साथ सम्पूर्ण जिनागम पंथी गुरुभक्तों ने एक अनूठे अंदाज में मनाया ।
इस पावन अवसर पर सम्पूर्ण भारत वर्ष के कोने-कोने से नगर-शहरों से शामली धर्मनगर में गुरु विमर्श भक्तों ने त्रय दिवसीय “विमर्श उत्सव सम्पन्न किया, जिसमें 13 नवम्बर को मध्यकालीन बेला में आध्यात्मिक कवि सम्मलेन” आयोजन रखा गया, उसी दिन रात्रिकालीन वेला में कवि गणों द्वारा काव्य पाठ किया गया ।
14 नवम्बर को प्रातः “श्री शान्तिनाय दिव्यार्चना” और संध्याकालीन बेला में प्रसिद्ध गीतकार भजन सम्राट रूपेश जैन द्वारा “एक शाम “विमर्श उत्सव” के नाम आयोजन के द्वारा अनूठे भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया ।
विमर्श उत्सव महोत्सव में उपस्थित सभी गुरुभक्तों के हाथों में था एक महकता हुआ पुष्प । आचार्य श्री विमर्शसागर जी गुरुदेव ने अपने आशीर्वाद में गुरुभक्तों से कहा- “मेरा आशीर्वाद है कि आपका जीवन खिले हुये फूलों की तरह महकता रहे।” आन्चार्य श्री ने कहा – “आज हमारे शिष्य मुनि श्री विचिन्त्य सागर जी का 13 वाँ दीक्षा दिवस है और विगत वर्ष दीक्षित 13 शिष्यों का प्रथम दीक्षा दिवस है। मेरा इन सभी शिष्यों को बहुत बहुत मंगल आशीर्वाद है। हमारे सभी शिष्य योग्य हैं, श्रेष्ठ हैं। सभी शिष्यों का वर्तमान विशिष्ट है । इन सभी के साथ आर्यिका विमर्शिता श्री माताजी का भविष्य भी बहुत विशिष्ट है।” वास्तव में “आर्यिका रत्न शिरोमणि हैं आर्यिका विमर्शिता श्री माताजी।
आचार्य भगवन भावलिंगी संत श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के अवतरण दिवस के कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश के भिंड जिले के जैन समाज के “युवा पत्रकार जिनागमपंथी सोनल जैन” को आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के परम् आशीर्वाद से जिनागमपंथी सोनल जैन पत्रकार को “विमर्श रत्न” पुरुस्कार देकर सम्मानित किया गया।
आचार्य गुरुदेव के मंगल शुभाशीष के उपरांत विमर्श गुरुकुल के सभी शिष्यों और भक्तों ने गुरुवर के जन्मोत्सव पर गुरु चरणों में शुभकामनायें प्रेषित की। शुभकामना महोत्सव उपरान्त उपस्थित जन समुदाय ने गुरुवर की अष्ट मांगलिक द्रव्यों से पूजन सम्पन्न की ।














