जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज
27 जून शुक्रवार 2025 अग्रवाल दिगंबर जैन बड़े मंदिर में प्राप्त 8:00 बजे जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज ने धर्म सभा को बताया की जो मनुष्य धर्म को जान सके समझ सके पहचान सके वह धर्म है
मिथ्यात्व सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न होना मुनि ने बताया
मुनि ने यह भी बताया कि अपने घरों पर प्रत्येक परिवार शांति चाहता है अपने घर पर एक स्थान पर देव का स्थान विराजमान होना चाहिए जिससे देवकी भक्ति हो सके उसकी जगह कु देव की भक्ति व सेवा करना एक नर्क का द्वार के बराबर मुनि ने बताया
डॉक्टर को रोग होने पर दिखाया जाता है दवा लेने पर ही रोक समाप्त होता है ठीक उसी प्रकार घरों में एक स्थान ईश्वर का स्थान होना बहुत जरूरी है प्रातः काल भगवान के दर्शन और भक्ति से पूरा दिन मंगलमय होगा
अपने घरों में शांति के लिए अरिहंत आचार्य उपाध्याय के चित्र लगाना चाहिए सच्चे देव भक्त से कभी कोई वस्तु नहीं मांगते वही सच्चे देव होते हैं
जैन धर्म शत्रु के प्रति मैत्री भाव रखता है ईश्वर की सच्चे मन से आराधना और भक्ति करने से गरीब व्यक्ति भी कब अमीर बन गया उसे मालूम नहीं होता यह सब ईश्वर का प्रभाव होता है
मुनि ने यह भी बताया की णमोकार मंत्र से बड़ा कोई मंत्र नहीं है इसे हमेशा जपने से संसार की सारी बाधाए परिवार की परेशानियां दूर हो जाती है जब भी वक्त मिले इस णमोकार मंत्र को जपते रहना चाहिए
नीति कभी धर्म से बंधी नहीं है सत्य ही नीति होना मुनि ने बताया
मंगलाचरण की प्रस्तुति धर्म सभा में अंशुल जैन ने
नगरों की शोभा जिनालय से होती थी
जैन मुनि प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया कि पहले नगर की शोभा उस नगर के जिनालय और भगवान की प्रतिमा से हुआ करती थी
पहले के व्यक्ति भगवान और मुनि की बातों पर विश्वास कर उनका पालन करते थे इन्हीं कर्म से उनके घरो में सदैव शांति बनी रहती थी
पहले बौद्ध धर्म का बहुत प्रचार प्रसार था गुरु एक बार ज्ञान करने पर ही भक्त को ज्ञान प्राप्त हो जाता था वह ज्ञान आज क्यों प्राप्त नहीं हो रहा इसका कारण मुनि ने बताया कि गुरु के प्रति श्रद्धा पूर्वक भावना मन में बनाना ही ज्ञान का कारण था
पहले भी धर्म के लिए जान देने वाले अकलंक और विकलक का दोनों का उदाहरण मुनि ने बताया कि जयअपने धर्म बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान की आहुति दे दी
जिनालय धर्म से नगर गांव की पहचान हुआ करती थी
महावीर कुमार सरावगी वर्षा योग प्रचार मंत्री