40 पाठ की श्रृंखला में श्री महावीर चालीसा के 30 वें पाठ का हुआ आयोजन

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अहिंसा द्वारा ही किया जा सकता ह्रै हृदय परिवर्तन- जैन
यमुनानगर, 8 जून (डा. आर. के. जैन):
श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर रैस्ट हाऊस रोड के प्रांगण में श्री महावीर चालीसा की 40 पाठ की श्रृंखला के 30 वें पाठ का आयोजन निशु जैन मुकेश जैन परिवार के सौजन्य से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर प्रधान अनिल जैन ने की तथा संचालन महामंत्री पुनीत गोल्डी जैन ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कलश स्थापित कर किया गया। पं. शील चंद जैन ने संबोधित करते हुये कहा कि अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर प्रगतिशील परंपरा के संस्थापक 24वें तीर्थंकर हुये है, उन्होंने अपनी व्रत संबंधी प्रतिशील क्रांति के द्वारा जैन धर्म को युगानुकूल रूप दिया। उन्होंने बताया कि तीर्थंकरों की यह परंपरा वैज्ञानिक दृष्टि से सत्य का अन्वेषण करने वाली एक प्रमुख परम्परा रही है। महावीर की साधना वीतरागता की साधना थी। इस प्रकार इस युग की तीर्थंकर परम्परा की अंतिम कड़ी भगवान महावीर हैं। भगवान ने जनजीवन को तो उन्नत किया ही, साथ ही उन्होंने साधना का ऐसा मार्ग प्रस्तुत किया जिस मार्ग पर चल कर सभी व्यक्ति सुख व शांति प्राप्त कर सकते है। प्रधान अनिल जैन ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने साधु के 28 मूल गुणों को स्वीकार किया और साधना द्वारा अपने गुप्त आत्म वैभव को प्रकाशित करने का प्रयास किया। तीर्थंकर महावीर अपने समय के महान तपस्वी ही नहीं थे, बल्कि एक उच्च कोटि के विचारक भी थे। उन्होंने धर्म और दार्शनिक विचारों को साधू जीवन के मुक्ति के साथ नीबद्ध कर क्रियात्मक रूप दिया। उन्होंने कहा कि धर्म सुख का कारण है, जो धारण किया जाये या पालन किया जाये व धर्म है। जिसका कोई स्वभाव न हो पर आचार रूप धर्म केवल चेतन आत्मा में पाया जाता है। वास्तव में धर्म आत्मा को परमात्मा बनाने का मार्ग बताता है। मनुष्य के विचार भी आचार से निर्मित होते है और विचारों से निष्ठा व श्रद्धा उत्पन्न होती है। उन्होंने आगे बताया कि सम्यग्दर्शन के अभाव में न तो ज्ञान ही सम्यक होता है और न चरित्र ही। लज्जा मानव जीवन का आभूषण है लज्जाशील जीवन स्वाभीमान की रक्षा हेतु अपयश के भय से कभी कदाचार में प्रवृत नहीं होती है, यही भगवान महावीर का संदेश रहा है। भगवान महावीर का मुख्य संदेश अहिंसा रहा है, क्योंकि अहिंसा द्वारा ही हृदय परिवर्तन सम्भव है, यह मारने का नहीं सुधारने का सिद्धांत है। अपराध एक मानसिक बीमारी है, इसका उपचार प्रेम, स्नेह, सद्भाव के द्वारा किया जा सकता है। इस अवसर पर समाज के गणमान्य व्यक्ति, महिलाएं तथा बच्चे उपस्थित रहे।
फोटो नं. 1 व 2 एच.
आयोजकों को सम्मानित करते पदाधिकारी व आरती करते श्रद्धालु………….(डा. आर. के. जैन)

डी. एल. एस. ए. द्वारा कानूनी जागरूकता वर्कशॉप का हुआ आयोजन
यमुनानगर, 8 जून (डा. आर. के. जैन):
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ए. डी. आर. सभागार में बाल श्रम व पॉक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम आदि विषयों पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कम सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुमित्रा कादियान ने की तथा संचालन करते हुये पैनल अधिवक्ता वी. पी. एस. सिद्धू ने कहा कि भारत में बाल शोषण एक व्यापक और परेशान करने वाली समस्या है, जहाँ हर साल लाखों बच्चे शारीरिक, भावनात्मक और यौन शोषण का शिकार होते हैं। वर्ष 2017-2020 के बीच बाल शोषण के 24 लाख मामले दर्ज किए गए जिनमें से 80 प्रतिशत पीड़ित 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियां थीं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने बच्चों को शोषण से बचाने के लिए कई कानूनी उपाय लागू किए हैं, और इन उपायों का उद्देश्य बाल शोषण के अपराधियों को रोकना, उनका पता लगाना और उन्हें दंडित करना है। कई बाल संरक्षण अधिनियमों के बावजूद, अभी भी बाल अधिकारों के विभिन्न रूपों का उल्लंघन होते हुए देखते हैं, जिसमें भोजन के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, स्वास्थ्य के अधिकार और शोषण के विरुद्ध अधिकार तक पहुँच से वंचित करना और उन्हें प्राप्त करने में असमर्थता शामिल है। बच्चों की सुरक्षा के लिए व्यापक कानून हैं, और बाल संरक्षण को सामाजिक विकास के मुख्य घटक के रूप में तेजी से स्वीकार किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में बाल शोषण की समस्या से निपटने के लिए बच्चों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने वाले प्रभावी कानून और नीतियों को लागू करना और इस मुद्दे के बारे में लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। इसमें मौजूदा कानूनों को मजबूत करना, बाल संरक्षण सेवाओं के लिए धन बढ़ाना और बाल शोषण के संकेतों और प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान लागू करना जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं। सूचना के प्रसार का एक और प्रभावी तरीका स्कूलों में शिक्षकों, देखभाल करने वालों और नाबालिगों को दुर्व्यवहार के रूपों उपायों और अधिकारों के बारे में कार्यशालाएं आयोजित करना हो सकता है।
फोटो नं. 3 एच.
वर्कशॉप में भाग लेते अधिकारी व सदस्य…………….(डा. आर. के. जैन)

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