35 दिवसीय णमोकर विधान के तीसरे दिन लोगो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया- मुनि श्री 108 विनय सागर जी

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श्री 1008 महावीर कीर्तिस्तंभ मंदिर में चल रहे 35 दिवसीय णमोकर पैंतीसी विधान के तीसरे दिन लोगो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिन मंदिर जीर्णोद्वारक संत, प्रशांत मूर्ति श्रमण मुनि श्री 108 विनय सागर जी गुरुदेव के सानिध्य में प्रथम अभिषेक एवम् शांतिधारा हुई! संगीतकार  विशाल जैन द्वारा भक्ति में श्रावक श्राविकाएं ने आंनद लिया तीसरे दिन के विधान समापन पर मुनि श्री ने प्रवचन में बताया णमोकार मंत्र में विशिष्ट शुद्ध आत्मा को नमस्कार किया गया है। जिन्होनें अपने जीवन में अहिंसा को उतार लिया है तथा जिनकी सभी क्रिया अहिंसक है। यह आत्माएँ जैन संस्कृति की साक्षात प्रतिमा है। नमस्कार करने से हमारा जीवन आर्दश मय बन जाता है। शुद्ध आत्माओं का आर्दश सामने रखने से तथा शुद्धात्माओं के आर्दश का स्मरण, चिंतन और मनन करने से शुद्धत्व की प्राप्ति होती है, जीवन पूर्ण अहिंसक बनता है। अरिहंत, सिद्ध पूर्ण अहिंसक व परमात्मा बन गए है, आचार्य, उपाध्याय, साधु अहिंसक व परमात्मा बनने की प्रकिया है। ये पाँचो ही प्राणीमात्र के लिए उपकारी है। अपने जीवन में संयम, तपश्चरण द्वारा समस्त प्रणाओं का हित करते हैं। इस मंत्र के माध्यम से तप और त्याग के मार्ग में आगे बढने की प्रेरणा मिलती है। तथा अहिंसा, अपरिग्रह को आचारण में उतारने की शिक्षा, विश्वबन्धुत्व और आत्मकल्याण की कामना उत्पन्न होती है। ये पाँचों आत्माएँ परम पद में स्थित है इसलिए इन्हें परमेष्ठी कहते हैं। संसार में प्राणी मात्र शारीयिक, मानसिक, आर्थिक और अगंतुक दुःखौँ से दुखी है, इन दुःखों से बचने के लिए जैन धर्म में एक मास्टर चाँबी है जिसे णमोकार मंत्र के नाम से सब जानते हैं। णमोकार मंत्र को मास्टर चाँबी इसलिए कहते हैं क्यों की णमोकार मंत्र रुपी चाँबी से संसार के समस्त दुःखो को नाश किया जा सकाता है। णमोकार मंत्र में सम्पूर्णी द्वादशांक गर्भित है। णमोकार मंत्र चमत्कारी मंत्र है क्यों की इस मंत्र के ध्यान, स्मरण, पाठ, साधना और जाप से प्राणी मात्र दुःख में भी सुख का अनुभव करने लग जाता है तथा वह कार्य भी सफलता हो जाता है जिसमें वह बार-बार असफलता हो रहा है। संसार, स्वर्ग और मोक्ष के सुख णमोकार मंत्र के स्मरण से प्राप्त किया जाता है। मनुष्य के जीवन में णमोकार मंत्र का उपयोग उसके जन्म से लेकर मोक्ष जाने तक की हर क्रिया में सर्व प्रथम किया जाता है। प्रतिदिन श्रद्धा से जाप करने वाले मनुष्य को दुःख कभी आ ही नही सकता है। जितने भी मंत्र, ऋद्धि मंत्र व यंत्र है वह सब णमोकार मंत्र से ही निकले या बने है। श्री जी की आरती उतारी गई!मुनिश्री ने कहा कि इस महामंत्र पर श्रद्धा रखने वाले अंजन चोर का उद्धार हो गया। जब एक बार सेठ ने अंजन चोर को णमोकार मंत्र की महिमा के बारे मे बताया, तभी अंजन चोर ने इस महामंत्र पर श्रद्धा रखकर अपना उद्धार किया। मुनिश्री ने कहा कि आज के समय में लोगों को इस महामंत्र पर श्रद्धा नहीं हो पाता, इसलिए वह इधर-उधर भटक रहा है जिसने भी इस मंत्र पर श्रद्धा रखी है, उसके बिगड़े काम बने हैं। प्रवचन, विधान समापन पश्चात सभी के लिए सुल्पहार की व्यवस्था पुण्य शुद्धि वर्धक वर्षायोग कमेटी द्वारा की गई!

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