31 दिसंबर : युवा वर्ग के लिए आत्म-विजय का संदेश
महावीर दीपचंद ठोले
छत्रपतीसंभाजीनगर
7588044495
समय बदल रहा है चेतना पुकार रही है ।हम ऐसे युग के द्वार पर
खड़े हैं जहां भविष्य तकनीक से नहीं चरित्र से लिखा जाएगा ।आने वाला 2026 वर्ष कोई साधारण वर्ष नहीं यह मानव मन की दिशा सही करने वाला वर्ष है। नया वर्ष यह कैलेंडर वर्ष नहीं बल्कि मानवता की आत्म परीक्षा का वर्ष है। ईसमे आत्म
निरीक्षण का संकल्प करना है ।आज का युवा तेज है ,सक्षम है पर भटक रहा है।
31 दिसंबर आज की युवा पीढ़ी के लिए अक्सर शोर, पार्टी और नशे की रात बन जाती है। लेकिन जैन दृष्टिकोण से यह रात आत्ममंथन और आत्म-विजय की है। यह वह क्षण है जब बीता हुआ वर्ष हमसे विदा लेता है और आने वाला वर्ष हमारे चरित्र की परीक्षा लेने आता है।जो व्यक्ति और समाज संयम, करूणा,विवेक और आत्मबोध को अपनाएगा ऊसके लिए आनेवाला वर्ष उत्कर्ष का द्वार सिद्ध होगा।
आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज कहते हैं—“समय नहीं बदलता,
सोच बदलती है; और सोच बदले तो समय अपने आप बदल जाता है।”
युवा और आत्म-नियंत्रण
युवा शक्ति सबसे बड़ी पूँजी है, लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी चुनौती भी है—आत्म-नियंत्रण।
“जो युवा अपने मन को साध लेता है, वही भविष्य का निर्माता बनता है।”
31 दिसंबर की रात युवाओं को यह निर्णय लेना चाहिए कि वे भीड़ का हिस्सा बनेंगे या अपनी अलग पहचान बनाएँगे।
क्षणिक आनंद देने वाले नशे और अनियंत्रित मनोरंजन युवाओं की ऊर्जा को कमजोर करते हैं। जैन दर्शन सिखाता है—संयम ही सच्ची शक्ति है।
“नशा छोड़ने वाला युवा ही असली बहादुर होता है।”
यदि 31 दिसंबर को एक युवा नशे से दूर रहता है, तो यह केवल एक रात की नहीं, पूरे वर्ष की जीत होती है।जिन्होने अपने भीतर मानवता का दीया जलाया वही आनेवाले कल का ऊजाला है। नया वर्ष कैलेण्डर बदलनेसे नही स्वयं का चरित्र बदलने से नया बनता है।
आत्म-लेखा और क्षणिक संकल्प
यह रात स्वयं से प्रश्न करने की है— मैंने इस वर्ष क्या सीखा? कहाँ संयम टूटा? कहाँ मैं बेहतर बन सकता हूँ?
“जो स्वयं से प्रश्न नहीं करता, जीवन उससे प्रश्न करता है।”एक छोटा लेकिन सच्चा संकल्प लें— क्रोध कम करूँगा, एक बुरी आदत छोड़ूँगा, रोज़ कुछ समय स्वाध्याय करूगा,आत्मचिंतन करूँगा,जरूतमंद की सहायता करूगा। जो खुशी बाटता है ऊसका साल खुद ब खुद शुभ हो जाता है।युवा साथियों, 31 दिसंबर को केवल वर्ष न बदलें, स्वयं को बदलें।
आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज का विश्वास है—
“युवा यदि संयमी, संवेदनशील और जागरूक हो गया, तो समाज का भविष्य उज्ज्वल है।”
आइए, इस 31 दिसंबर को शोर की नहीं, शौर्य की रात बनाएँआत्म-विजय की रात। रात 12बजे घडी की नही आत्मा की आवाज सुनिए। 31 दिसंबर नाचने की नही अपने आपसे मिलने की रात हो, नए मनुष्य बनने की रात हो।
ॐ ह्रीं अर्हं नमः
श्री संपादक महोदय सादर जयजिनेंद्र। कृपया यह आलेख आनेवाले अंक मे प्रकाशित कर उपकृत करे ।धन्यवाद।
महावीर ठोले
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