राजेश जैन दद्दू
इंदौर आगामी दो दिसंम्वर से सात दिसंम्वर तक गोकुल नगर दि. जैन मंदिर के जिन विम्वों के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य भावनायोग प्रणेता मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज,मुनि श्री निर्वेगसागर महाराज मुनि श्री संधान सागर महाराज स संघ सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य अभय भैया, नितिन भैया,अनिल भैया के निर्देशन में श्री पद्म प्रभु दि.जैन मंदिर के पास वैभव नगर मे धर्म प्रभावना समिति के नवरत्न परिवार के साथ संपन्न होंने जा रहे है,जिसका मुख्य संयोजक हर्ष जैन महामंत्री धर्मप्रभावना समिति को बनाया गया है, धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू एवं प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया 2 दिसंम्वर को प्रातः7 बजे घटयात्रा श्री जी की शोभायात्रा के साथ गोयलनगर जिनालय से प्रारंभ होकर कार्यक्रम स्थल वैभवनगर तक आऐगी यंहा पर ध्वजारोहण तथा मंडप उदघाटन,मंडप शुद्धी होकर सकलीकरण एवं इंद्र प्रतिष्ठा होगी तथा दौपहर एक बजे से याज्ञमंडल विधान एवं हवन होगा एवं रात्री 8:30 बजे से सौधर्म इंद्र का दरबार लगेगा जिसमेंतत्वचर्चा,कुवेर द्वारा रत्नवृष्टी माता के सोलह स्वप्नअष्ठ कुमारी देविओं द्वारा माता की सेवा आदि दृश्य दिखाऐ जाऐंगे।
इसी क्रम में 3 दिसंम्वर को गर्भ कल्याणक उत्तरार्ध एवं 4 दिसंम्वर को जन्म कल्याणक की क्रियायें संपन्न होंगी एवं 5 दिसंम्वर को तप कल्याणक एवं 6 दिसंम्वर को ज्ञान कल्याणक एवं 7 दिसंम्वर को मोक्षकल्याणक मनाया जाऐगा। धर्मप्रमावना समिति के सभी नवरत्न भरतमोदी, मुकेश पाटौदी, नवीनगोधा,अशोक डोसी,हर्ष जैन,रमेश निर्वाणा, सुनील विलाला,योगेंद्र सेठी,धर्मेन्द्र जैन सहित सकल दि.जैन समाज इंदौर सभी धर्म श्रद्धालुओं से निवेदन करती है कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव कार्यक्रम में पधार कर पुण्यलाभ अर्जित करें। इधर मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने नेमीनगर दि.जैन मंदिर में धर्म सभा को सम्वोधित करते हुये चार बातें- आसक्ती,अत्यासक्ति, अनासक्तिऔर विरक्ति पर चर्चा करते हुये कहा कि “बस्तु, व्यक्ती, धन संपत्ति, अथवा देहआकर्षण के प्रति गाड़ लगाव ही आसक्ती और अनासक्ति को जन्म देता है,और वह दुःख प्रदान करता है,मुनि श्री ने कहा कि सबसे ज्यादा हमारा आकृषण देह के प्रति होता है “पहले तो माता बहनें ही व्यूटी पार्लर जाती थी लेकिन आजकल तो पुरुष भी व्यूटी पार्लर जाने लगे है” मुनि श्री ने कहा कि अपने शरीर के प्रति जागरूकता रखो लेकिन उसके प्रति इतने आसक्त मत हो जाओ कि देही के पीछे उस विदेही को ही भूल जाओ उन्होंने कहा कि शरीर एक साधन है,विवेकहीन मनुष्य इस शरीर के माध्यम से जंहा संसार को पुष्ट करते है वंही विवेकवान पुरुष इस शरीर के माध्यम से अपनी आत्मा को पुष्ट करते है,जो व्यक्ति संसार,शरीर और भोगों की बास्तविकता को समझता है वह इसमें रमता नहीं, उसे शरीर की क्षणभंगुरता का अहसास होता है,और वह वैराग्य को धारण कर अपने जीवन का उद्धार कर लेता है और जो इसमें उलझा रहता है वह अपने संसार को और बड़ाता है।” मुनि श्री ने कहा कि पुरानी पीड़ी में मौटा खाने की आदत होती थी और पैसा को जोड़ने की कला थी वह अनावश्यक खर्च नहीं करते थे,वंही आजकल की नयी पीड़ी में धन की कमी तो है नहीं, खूब कमाते है और सब कुछ भोगों में खर्च कर देते है भोगासक्ति की इस आदत से पीजा वर्गर फास्ट फूड और तरह तरह की बस्तुऐं ओन लाईन मंगा लेते है,तथा बीमारियों से घिरे रहते है,वर्तमान समय में उपभोक्तावादी सोच ने आज सभी सम्वंधों को भी समाप्त कर दिया है,तथा व्यक्ति देह आकृषण में उलझ कर रह गया है।उपरोक्त जानकारी देते हुये धर्म प्रभावना समिति के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया दौपहर 1:30 बजे मुनिसंघ गुमास्ता नगर, सुदामा नगर इंद्रलोक आदि कालोनियों के जिनालयों के दर्शन करने गये तथा सांयकाल का शंकासमाधान एवं रात्री विश्राम नेमीनगर में ही हुआ।