सादर प्रकाशनार्थ विज्ञप्ति
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25 दिसम्बर से नैनागिरि में 21 दिवसीय राष्ट्रीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला
(रत्नेश जैन रागी/राजेश रागी)
बकस्वाहा/- प्राकृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से इस वर्ष 21 दिवसीय राष्ट्रीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला 25 दिसंबर 2025 से 14 जनवरी 2026 तक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक नगरी श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र (रेशंदीगिरि) नैनागिरि , तहसील बकस्वाहा जिला छतरपुर, म.प्र. में संपन्न होगी।
इस आयोजन का संचालन पाली-प्राकृत विकास योजना के अंतर्गत केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (प्राकृत अध्ययन एवं अनुसन्धान केन्द्र, जयपुर परिसर) तथा प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन (रजि.) सागर के संयुक्त तत्त्वावधान में किया जा रहा है।
यह कार्यशाला आदरणीय कुलपति श्री प्रो. श्रीनिवास बरखेड़ी महोदय केंद्रीय संस्कृत विश्विद्यालय नई दिल्ली के मार्गदर्शन में हो रहा है। निर्देशक श्री रमाकांत पांडेय सर का सतत मार्गदर्शन और प्रेरणा प्राप्त हो रही है। पालि प्राकृत योजना अधिकारी डॉ चक्रधर जी मेहुर ने कार्यशाला को विधिवत संचालन हेतु मार्गदर्शन दिया। कार्यशाला में डॉ धर्मेंद्र कुमार जैन जयपुर प्राकृत भाषा विकास अधिकारी केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर का सतत मॉनिटरिंग, डॉ सतेंद्र कुमार जैन, श्री प्रभातकुमार दास जी की मॉनिटरिंग में कार्य प्रारंभ हो गया है।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में प्राकृत भाषा के व्याकरण, साहित्य, पठनीय सामग्री और बोलचाल के विभिन्न स्तरों का गहन अध्ययन विशेषज्ञ विद्वानों द्वारा कराया जाएगा। कार्यशाला में 21 दिन की अनिवार्य उपस्थिति, निःशुल्क आवास-भोजन, तथा चयनित प्रतिभागियों को 3rd A.C. का आवागमन मार्गव्यय प्रदान किया जाएगा। किसी भी प्रकार का पंजीकरण शुल्क नहीं रखा गया है। इच्छुक विद्यार्थी www.prakritbhasha.com के माध्यम से आवेदन भेज सकते हैं। प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन के महामंत्री डॉ आशीष जैन आचार्य (मोबाइल नंबर 93290 92390) ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यशाला प्राकृत भाषा के गंभीर अध्ययन, शोध एवं नई पीढ़ी को इसके साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
🙏 वरिष्ठ पत्रकार राजेश रागी/रत्नेश जैन बकस्वाहा












